संतान की प्राप्ति कैसे हो जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत के विषय में 

Aug 19, 2023 - 13:56
 0  2.3k
संतान की प्राप्ति कैसे हो जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत के विषय में 

(आरएनआई) श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत धारण करने वाले व्यक्ति को वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस व्रत के पुण्य प्रभाव से भक्तों को संतान प्राप्ति का वरदान प्राप्त होता है।

श्रावण पुत्रदा एकादशी की पूजा एवं व्रत विधि सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें तथा 

स्वच्छ वस्त्र धारण करें

भगवान् विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीप जलाएं
 
पूजा में तुलसी, ऋतु फल एवं तिल का प्रयोग करें

व्रत के दिन निराहार रहें और शाम में पूजा के बाद चाहें तो फल ग्रहण कर सकते हैं

विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है एकादशी 

के दिन रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है। जागरण में भजन कीर्तन करें

द्वादशी तिथि को ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद उन्हें दान-दक्षिणा दें

अंत में स्वयं भोजन करें
श्रावण पुत्रदा एकादशी का महत्व हिन्दू धर्म में एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है और श्रावण पुत्रदा एकादशी उनसें से एक है। ऐसा विश्वास है कि यदि नि:संतान दंपति इस व्रत को पूर्ण विधि-विधान व श्रृद्धा के साथ धारण करें तो उन्हें संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है। इसके अलावा मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है और मरणोपरांत उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा श्री पद्मपुराण के अनुसार द्वापर युग में महिष्मतीपुरी का राजा महीजित बड़ा ही शांति एवं धर्म प्रिय था। लेकिन वह पुत्र-विहीन था। राजा के शुभचिंतकों ने यह बात महामुनि लोमेश को बताई तो उन्होंने बताया कि राजन पूर्व जन्म में एक अत्याचारी, धनहीन वैश्य थे। इसी एकादशी के दिन दोपहर के समय वे प्यास से व्याकुल होकर एक जलाशय पर पहुंचे, तो वहां गर्मी से पीड़ित एक प्यासी गाय को पानी पीते देखकर उन्होंने उसे रोक दिया और स्वयं पानी पीने लगे। राजा का ऐसा करना धर्म के अनुरूप नहीं था। अपने पूर्व जन्म के पुण्य कर्मों के फलस्वरूप वे अगले जन्म में राजा तो बने, किंतु उस एक पाप के कारण संतान विहीन हैं। महामुनि ने बताया कि राजा के सभी शुभचिंतक यदि श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को विधि पूर्वक व्रत करें और उसका पुण्य राजा को दे दें, तो निश्चय ही उन्हें संतान रत्न की प्राप्ति होगी। इस प्रकार मुनि के निर्देशानुसार प्रजा के साथ-साथ जब राजा ने भी यह व्रत रखा, तो कुछ समय बाद रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। तभी से इस एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाने लगा।
एक अन्य कथा युद्धिष्ठिर भगवान श्री कृष्ण से श्रावण एकादशी के महत्व को बताने का आग्रह किया। तब श्री कृष्ण ने उन्हें बताया कि द्वापर युग में महिष्मतीपुरी का राजा महीजित बड़ा ही शांति एवं धर्म प्रिय था। लेकिन वह पुत्र-विहीन था। जब महामुनि लोमेश के निर्देशानुसार प्रजा के साथ-साथ जब राजा ने भी यह व्रत रखा, तो कुछ समय बाद रानी ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। तभी से इस एकादशी को श्रावण पुत्रदा एकादशी कहा जाने लगा।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

RNI News Reportage News International (RNI) is India's growing news website which is an digital platform to news, ideas and content based article. Destination where you can catch latest happenings from all over the globe Enhancing the strength of journalism independent and unbiased.