संत समाज के गौरव थे ब्रह्मलीन संत हरिबाबा महाराज
वृन्दावन। दावानल कुण्ड क्षेत्र स्थित श्रीहरिबाबा आश्रम में महाराज श्रीहरिबाबा मेमोरियल ट्रस्ट के तत्वावधान में चल रहे संत प्रवर हरिबाबा महाराज के नव-दिवसीय 139 वें प्राकट्य महोत्सव के अंतर्गत वृहद संत-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ। जिसमें अपने विचार व्यक्त करते हुए चतु: सम्प्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज व महंत हरिबोल बाबा महाराज ने कहा कि संत प्रवर हरिबाबा महाराज परम भजनानंदी व विरक्त संत थे। सत्संग, भगवद चिंतन, साधना एवं जप-तप महाराजश्री के जीवन के अभिन्न अंग थे। उन जैसे कर्मठ संतों से ही पृथ्वी पर धर्म व अध्यात्म का अस्तित्व है।
पुराणाचार्य डॉ. मनोजमोहन शास्त्री व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि ब्रह्मलीन संत हरिबाबा महाराज समन्वयवादी व निस्पृह संत थे। सभी संप्रदायों के संत व महंत उन्हें आदर व सम्मान देते थे।
पंडित बिहारीलाल वशिष्ठ व पंडित राजाराम मिश्र ने कहा कि ब्रह्मलीन हरिबाबा महाराज संत समाज के गौरव थे।
महाराजश्री की संत सेवा, गौ सेवा, विप्र सेवा एवं निर्धन निराश्रित सेवा आदि में अपार निष्ठा थी। इसी सब के चलते उन्होंने अपना समूचा जीवन व्यतीत किया।
संत सेवानंद ब्रह्मचारी व डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री महाराज ने कहा कि पूज्य हरिबाबा महाराज सहजता, सरलता, उदारता और परोपकारिता की प्रतिमूर्ति थे। उन जैसी विभूतियों का अब युग ही समाप्त होता चला जा रहा है।
संत-विद्वत सम्मेलन में आचार्य पीठाधीश्वर यदुनंदनाचार्य महाराज, महंत किशोरी शरण भक्तमाली, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, भानुदेवाचार्य महाराज, भागवताचार्य दिनेशचंद्र शास्त्री, हरेकृष्ण ब्रह्मचारी, डॉ. राधाकांत शर्मा, आचार्य ईश्वरचंद्र रावत आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन सेवानंद ब्रह्मचारी ने किया।
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