श्रीराम बारात में हुआ त्रैता युग का सृजन -घर-घर, द्वार-द्वार और बाजारों में हुई पुष्प वर्षा, इस मोके पर बहुत याद आये स्व० कैलाश चंद बूटिया
हाथरस, (आरएनआई) बिस्वामित्र समय सुभ जानी। बोले अति सनेहमय बानी।। उठहु राम भंजहु भवचापा। मेटहु तात जनक परितापा।। अर्थात धनुष टूटते ही श्री सियाराम जी विवाह संपन्न हो गया। फिर लोक रीति रिवाजों को निभाया गया। इसी के तहत रविवार को ब्रज की दहरी में पून: नफीरी के साथ बारात निकरोसी हुई और जनक के रूप में मनोज बूटिया ने बैकुंठ वासी पिता कैलाश चंद बूटिया जी की रिक्तता को अरिक्त किया। दरअसल श्रीराम विवाह पंचमी के अवसर पर सद्गृहस्त संत बैकुंठ निवासी ब्रजनाथ शरण अरोड़ा, धर्मज्ञ बैकुंठ वासी कैलाश चंद बूटिया गोबर्धन वासी पं. भोलाशंकर शर्मा आदि ने दो दशक पूर्व श्री सीताराम विवाह पंचमी महामहोत्सव का आरंभ किया था। बीते दिवस भी इस महामहोत्सव की श्रृंखला को जारी रखा गया और इसके पर्णधार 'जनक स्वरूपा' बने मनोज बूटिया व साक्षी के रूप में ब्रज द्वार हाथरस के वासी बतौर अवध और मिथलापुरी के रूप में साक्षी बने।
गावहिं सुंदर मंगल गीता। लै लै नाम राम और सीता।। आदि चौपाइयों की गूंज भक्तों के मुखमंडल से स्वर लहरियों में गूंज उठी। जबकि हनुमान गली स्थित श्रीराम दरबार मंदिर अवधपुर और तालाब चौराहा राम सेतु स्थित श्रीराम चौक पर श्रीराम दरबार मंदिर जनकपुरी स्वरूपा के रूप में त्रैता युग की छवि विखैर रही थी। सांध्य काल में आरंभ हुई श्रीराम बारात हनुमान गली से चक्की बाजार, सब्जी मंडी, नयागंज, बारहद्वारी, पत्थर बाजार, लोहट बाजार, रुई की मंडी, नजिहाई बाजार, बाबा गयाप्रसाद मंदिर घंटाघर, हलवाई खाना, गुड़िहाई बाजार, क्रांति चौक, बागला मार्ग, सासनी गेट आदि स्थानों से होती हुई जनकपुरी पहुंची। हर मार्ग और बाजार में पुष्प वर्षा, दूध, मावा व डुपट्टा आदि से बारात का स्वागत किया गया। इस अवसर पर मनोज बूटिया के अलावा सीताराम, रामवल्लभ शर्मा, योगेंद्रमोहन शर्मा, दीपक बुटिया, संजीव बुटिया, सजल बुटिया, अचल बुटिया, राकेश वर्मा, बंटी अग्रवाल, संजय केशव दीक्षित एडवोकेट, राकेश बुटिया, उमेश शर्मा, अनूप अग्रवाल, पवन सारस्वत, गोविंद, मुकेश शर्मा, मनीष मित्तल, बाल गोविंद, अनिल शर्मा आदि की उपस्थिति रही ।
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