श्रीराधावल्लभ संप्रदाय की बहुमूल्य विभूति थे श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज : सौमयाजी षष्ठपीठाधीश्वर जगद्गुरु वल्लभाचार्य महाराज
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
वृन्दावन (आरएनआई) गोविंद घाट स्थित अखिल भारतीय श्रीपंच राधावल्लभीय निर्मोही अखाड़ा (श्रीहित रासमण्डल) में श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज के पावन सानिध्य में चल रहे रसिक संत वैद्यभूषण श्रीश्री 1008 श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज का 133 वां नवदिवसीय जन्म महामहोत्सव विभिन्न धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ सम्पन्न हुआ।
सर्वप्रथम महाराज श्री की प्रतिमा का पञ्चामृत से अभिषेक कर वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पूजन-अर्चन किया गया।साथ ही श्रीराधा वल्लभ संप्रदाय के समाज मुखिया राकेश दुबे की अगुवाई में संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य मंगल बधाई समाज गायन किया गया।
तत्पश्चात वृहद संत - विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।जिसकी अध्यक्षता करते हुए अनंतश्री विभूषित जगद्गुरु श्रीमद्विष्णुस्वामीवल्लभाचार्य महाप्रभु सम्प्रदायाचार्य वैष्णवाचार्य मोटा मंदिर गादीपति सौमयाजी षष्ठपीठाधीश्वर गोस्वामी श्रीवल्लभराय महाराज (सूरत, गुजरात) ने कहा कि श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज श्रीराधावल्लभ संप्रदाय की बहुमूल्य विभूति थे।वे समस्त धर्म ग्रंथों के प्रकांड विद्वान थे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत स्वामी रविन्द्र पुरी महाराज (कनखल, हरिद्वार) एवं निर्मोही अखाड़ा के श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज (गुजरात) ने कहा कि श्रीधाम वृन्दावन संतों एवं भक्तों की भूमि है।यहां ऐसे अनेकों भक्त हुए हैं, जिन्होंने अपने तप और साधना के बल पर असंख्य व्यक्तियों को प्रभु भक्ति के मार्ग से जोड़कर उनका उद्धार किया है।संत शिरोमणि श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज उन्ही में से एक थे।हम ऐसे भगवत्प्राप्त संत को बारम्बार प्रणाम करते हैं।
अखिल भारतीय श्रीपंच राधावल्लभीय निर्मोही अखाड़ा (श्रीहित रासमण्डल) के अध्यक्ष श्रीमहंत लाड़िली शरण महाराज एवं बाद ग्राम स्थित श्रीहित हरिवंश महाप्रभु की जन्मभूमि आश्रम के महंत दंपत्ति किशोर शरण महाराज (काकाजी) ने कहा कि हमारे सदगुरुदेव वेद्यभूषण श्रीमहंत माखनचोर दास महाराज अत्यंत सहज एवं सेवाभावी संत थे।उनके दिव्य परमाणु श्रीहित रासमण्डल आश्रम में आज भी विद्यमान हैं।
संत-विद्वत सम्मेलन में श्रीमज्जगद्गुरु द्वाराचार्य श्रीनाभापीठाधीश्वर स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज, पीपाद्वाराचार्य जगद्गुरु बाबा बलरामदास देवाचार्य महाराज, जगन्नाथ मंदिर (अहमदाबाद) के महंत दिलीप दास महाराज, निर्माणी अखाड़ा के श्रीमहंत गौरीशंकर दास महराज, चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज, तुलसी छावनी पीठाधीश्वर महंत जनार्दन दास महाराज, दिगम्बर अखाड़े के महंत रामकिशोर दास महराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, महामंडलेश्वर स्वामी नवल गिरि महाराज, धीर समीर कुंज के महंत मदन मोहन दास महाराज, पूर्व विधायक ठाकुर कारिंदा सिंह, मथुरा-वृन्दावन नगर निगम के डिप्टी मेयर मुकेश सारस्वत, श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज, महंत श्यामसुंदर दास महाराज, महंत राम स्वरूप दास महाराज, पुरूषोत्तम शरण पुजारी, पुराणाचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री, आचार्य/भागवत पीठाधीश्वर मारूति नंदनाचार्य महाराज, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, अशोक गोस्वामी, पण्डित बिहारीलाल वशिष्ठ, महंत गोपीकृष्ण दास महाराज, आचार्य विष्णु मोहन नागार्च, डॉ. हरेकृष्ण शरद, आचार्य नेत्रपाल शास्त्री, आचार्य बद्रीश महाराज, रासाचार्य स्वामी रामशरण शर्मा, मुकेश मोहन शास्त्री, अशोक शास्त्री, विपिन बापू, अशोक व्यास, राम प्रकाश भारद्वाज मधुर, लालू शर्मा, ठाकुर दिनेश सिंह तरकर, युवराज श्रीधराचार्य महाराज, नवलदास पुजारी, पण्डित राधावल्लभ वशिष्ठ, इन्द्र कुमार शर्मा, प्रियावल्लभ वशिष्ठ, डॉ. राधाकांत शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन प्रमुख शिक्षाविद डॉ. चन्द्रप्रकाश शर्मा ने किया।आयोजन में पधारे सभी संतों, विद्वानों एवं धर्माचार्यों को श्रीहित लाड़िली शरण महाराज ने शॉल ओढ़ाकर एवं ठाकुरजी का चित्रपट भेंट कर सम्मानित किया। रात्रि 8 बजे प्रख्यात रासाचार्य स्वामी देवेन्द्र वशिष्ठ के निर्देशन में सम्पन्न हुई रासलीला के अंतर्गत व्याहुला महोत्सव का अत्यंत नयनाभिराम व चित्ताकर्षक आयोजन सम्पन्न हुआ। महोत्सव का समापन संत, ब्रजवासी, वैष्णव सेवा एवं वृहद भंडारे के साथ हुआ।
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