श्रीमद्भागवत में निहित है सभी धर्म ग्रंथों का सार : पंडित राजेंद्र शास्त्री
गोवर्धन।राधा कुंड परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीराम त्यागी आश्रम में आश्रम के अध्यक्ष श्रीश्री 1008 श्रीमहंत गिरीश दास त्यागी महाराज के पावन सानिध्य में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में प्रख्यात भागवताचार्य पंडित राजेन्द्र शास्त्री महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत भगवान श्रीकृष्ण का वांग्मय स्वरूप है।इसका श्रवण करने से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है।इसके श्रवण से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।साथ ही उसके जन्म व मृत्यु के भय का भी नाश हो जाता है।जीव के कल्याण के लिए सबसे उत्तम ग्रंथ है,तो वह श्रीमद्भागवत महापुराण है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत महापुराण में समस्त वेदों, पुराणों, उप पुराणों, शास्त्रों व उपनिषदों आदि धर्मग्रंथों का सार निहित है।इसका श्रवण,वाचन व अध्ययन तीनों ही कल्याणकारी हैं।साथ ही गिरिराज महाराज के सानिध्य में इसका श्रवण करना शतगुणा अधिक फलदाई व पुण्यदाई होता है।
इस अवसर पर ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, श्रीमहंत बालक दास महाराज, महंत अंबिका दास, श्रीमती साधना-ठाकुर हरिभुवन सिंह, युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा,देवकिशोर पचौरी, गोविंद शास्त्री, नवीन शास्त्री, केशवदेव शास्त्री, सांवरिया बाबा, नारायण दास, महेश दास, संगीताचार्य आदित्य तिवारी व पुरुषोत्तम आदि की उपस्थिति विशेष रही।
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