श्रीकृष्ण सेवा धाम ट्रस्ट में निःशुल्क अन्न क्षेत्र का हुआ शुभारंभ
श्रीकृष्ण सेवा धाम ट्रस्ट में निःशुल्क
वृन्दावन।(आरएनआई)परिक्रमा मार्ग-रामनगर कॉलोनी स्थित श्रीकृष्ण सेवा धाम में पुरुषोत्तम मास के उपलक्ष्य में श्रीधाम वृन्दावन में रहकर वैदिक संस्कृति की शिक्षा ग्रहण करने वाले ब्राह्मण बालकों के लिए नि:शुल्क अन्न क्षेत्र का शुभारंभ श्रीनाभापीठाधीश्वर जगदगुरू द्वाराचार्य स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज,तुलसी पीठाधीश्वर मुकुंद शरण महाराज एवं गौरी गोपाल आश्रम के अध्यक्ष व विश्वविख्यात भागवताचार्य अनिरुद्धाचार्य महाराज के द्वारा ब्राह्मण बालकों को प्रसाद वितरण करके किया गया।
श्रीकृष्ण सेवा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीनिवासाचार्य महाराज ने कहा कि हमारा ट्रस्ट पिछले कई वर्षों से श्रीधाम वृन्दावन में अध्यात्म सेवा, समाजसेवा व निर्धनों-निराश्रितों की सेवा निष्काम भाव से करता चला आ रहा है।इसी क्रम में आज हमारे आश्रम में ब्राह्मण बालकों के लिए निःशुल्क अन्न क्षेत्र सेवा का शुभारंभ किया गया है।जिससे श्रीधाम वृन्दावन में देश के विभिन्न प्रांतों से संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने हेतु आने वाले विद्यार्थियों को भोजन प्रसादी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
श्रीनाभापीठाधीश्वर जगदगुरू द्वाराचार्य स्वामी सुतीक्ष्णदास देवाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीधाम वृन्दावन ठाकुर श्रीकृष्ण और श्रीराधा रानी की दिव्य लीला स्थली है।हम सभी का ये उद्देश्य होना चाहिए, कि हम जो भी सेवा करें वो निष्काम भाव से करें।श्रीधाम वृन्दावन में किसी भी रूप में की हुई निष्काम सेवा के फल स्वरूप हमारी कई पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। गौरी गोपाल आश्रम के अध्यक्ष व विश्वविख्यात भागवताचार्य अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कहा कि धन का सदुपयोग ही सच्चा मानव धर्म है।धन संग्रह करने के अनेकों अच्छे - बुरे उपाय हैं।परंतु किसी भी कर्म के द्वारा संग्रहित किया हुआ धन यदि धर्म के कार्य में लग जाए, तो वो धन पवित्र हो जाता है। इस अवसर पर तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी मुकुंद शरण महाराज,श्रीरंगलक्ष्मी संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामसुदर्शन मिश्रा, शिव कुमार अग्रवाल "बालिंदिया", श्रीमती कृष्णा अग्रवाल "बालिंदिया" (कोलकाता), आचार्य मंगेश दुबे, आचार्य पंकज मिश्रा, प्रमोद कुमार बंसल,आचार्य घनश्याम दुबे, पंडित राजेश कुमार, निर्मल सिन्हा, विद्या सिन्हा, हरीश ठैनुआ, कृष्णा बंसल एवं डॉ. राधाकांत शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।संचालन आचार्य नीरज पाराशर ने किया।
(डॉ. गोपाल चतुर्वेदी)
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