श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने दी मंगलकामनाएँ, कांग्रेस के आरोपों पर कहा ‘वे भगवान श्रीकृष्ण को लेकर अपनी सोच और स्थिति स्पष्ट करें’
भोपाल (आरएनआई) आज देशभर में जन्माष्टमी का पर्व हर्षोल्लास से मनाया रहा है। इस अवसर पर सीएम डॉ मोहन यादव ने देशवासियों और प्रदेशवासियों को मंगलकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि ‘भगवान कृष्ण का पूरा जीवन हमारे लिए अनुकरणीय है। जीवन में किसी से घबराना नहीं है सदैव धर्म मार्ग पर चलना है।’
वहीं विपक्ष द्वारा इस पर्व के भगवाकरण के आरोप पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘विपक्ष स्पष्ट करें कि वो भगवान कृष्ण के पारे में क्या सोचते हैं।’ बता दें कि स्कूल-कॉलेज में जन्माष्टमी का पर्व मनाए जाने के आदेश के बाद कांग्रेस इसका विरोध कर रही है और कह रही है कि शिक्षण संस्थान शिक्षा का केंद्र हैं और उन्हें इसी के लिए सीमित रखना चाहिए।
धूमधाम से मनाई जा रही है कृष्ण जन्माष्टमी
आज देशभर में श्रद्धालु लड्डू गोपाल के जन्म का उत्सव मना रहे हैं। इस अवसर पर मंदिरों में विशेष साज सज्जा की गई है और पूजा के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। जन्माष्टमी, जिसे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है, जो विष्णु जी के आठवें अवतार माने जाते हैं। श्रीकृष्ण का जन्म 3228 ईस्वी वर्ष पूर्व द्वापर युग में मथुरा में हुआ था। यह त्योहार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यतानुसार श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए हुआ था। कथा के अनुसार, कंस को आकाशवाणी के माध्यम से यह ज्ञात हुआ कि उसकी मृत्यु उसकी बहन देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी। इस भविष्यवाणी से भयभीत होकर, कंस ने देवकी और उनके पति वासुदेव को कारागार में बंद कर दिया और उनके सभी संतानों को मार डाला। लेकिन जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तो दिव्य संयोग से वासुदेव उन्हें गोकुल में यशोदा और नंद के घर पहुंचा पाए, जहाँ कृष्ण का लालन-पालन हुआ।
श्रीकृष्ण से मिलती है जीवन की महत्वपूर्ण सीख
जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात के समय भगवान कृष्ण की जन्म लीला का स्मरण करते हुए भजन-कीर्तन पूजन करते हैं। इस दिन विशेष रूप से श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डूगोपाल की पूजा की जाती है। मंदिरों और घरों में श्रीकृष्ण की मूर्तियों को सजाया जाता है, और रात 12 बजे उनके जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर दही-हांडी का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें युवा श्रीकृष्ण के माखन चोरी की लीला का अनुकरण करते हुए ऊंचाई पर लटकी मटकी को फोड़ते हैं।
जन्माष्टमी का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक भी है। भगवान श्रीकृष्ण ने भगवद गीता के माध्यम से जो उपदेश दिए, वे मानवता के लिए अमूल्य धरोहर हैं। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएँ धर्म, कर्म और प्रेम के आदर्शों पर आधारित हैं। जन्माष्टमी का पर्व हमें यही सिखाता है कि अन्याय और अधर्म के विरुद्ध खड़ा होना ही सच्चा धर्म है। इस प्रकार, जन्माष्टमी न केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का उत्सव है, बल्कि यह हमें उनके जीवन और उनके द्वारा स्थापित आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा भी देता है।
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