शेख हसीना के बेटे का युनूस सरकार पर आरोप, कहा- राजनीतिक बदले के लिए न्यायपालिका को बनाया हथियार
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। इसे लेकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की गई है। अब पूर्व पीएम के बेटे सजीब वाजेद ने कहा है कि मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली गैर निर्वाचित सरकार अवामी लीग के नेतृत्व को सताने के लिए हमले कर रही है।
वॉशिंगटन (आरएनआई) बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ लगातार दर्ज हो रहे मुकदमों को लेकर अंतरिम सरकार पर आरोप लगे हैं। हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने मोहम्मद युनूस सरकार पर राजनीतिक प्रतिशोध के लिए न्यायपालिका को हथियार बनाने का आरोप लगाया है।
अंतरिम सरकार की ओर से पूर्व पीएम शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत को राजनयिक नोट भेजे जाने के बाद सजीब वाजेद ने यह आरोप लगाए हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि मोहम्मद युनूस के नेतृत्व वाली गैर निर्वाचित सरकार अवामी लीग के नेतृत्व को सताने के लिए हमले कर रही है। सरकार की ओर से नियुक्त किए गए जज और अभियोजक अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के जरिये राजनीतिक प्रतिशोध के लिए हास्यापद जांचें कर रहे हैं।
उन्होंने लिखा कि कंगारू न्यायाधिकरण और उसके बाद प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध तब किया गया है, जब देश में सैकड़ों नेताओं और कार्यकर्ताओं को न्यायेतर तरीके से मार दिया गया। अपमानजनक हत्या के आरोप लगाए गए, कानूनी एजेंसियों ने हजारों लोगों को अवैध रूप से कैद किया। वहीं हर रोज लूटपाट, बर्बरता और आगजनी सहित हिंसक हमले हो रहे हैं।
सजीब वाजेद ने कहा कि 22 दिसंबर को आईसीटी न्यायाधिकरण के एक मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने अवामी लीग की अध्यक्ष और पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ जानबूझकर गलत सूचना फैलाई कि इंटरपोल ने उनके खिलाफ रेड नोटिस जारी किया था। यह शेख हसीना के प्रत्यर्पण और यूनुस के हितों की सेवा का हास्यास्पद परीक्षण करने का एक हताश प्रयास था।
पूर्व पीएम के बेटे ने कहा कि बाद में मीडिया में झूठ उजागर होने के बाद उसी अभियोजक ने अपना बयान बदल दिया। अब आधिकारिक तौर पर प्रत्यर्पण के लिए भारत को अनुरोध भेजा है। हमारा कहना है कि जुलाई और अगस्त के बीच मानवाधिकार उल्लंघन की हर एक घटना की स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जांच की जानी चाहिए। मगर देश में यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार ने न्यायपालिका को हथियार बना दिया है। हमे न्याय प्रणाली पर कोई भरोसा नहीं है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की तरफ से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की गई है। बांग्लादेश की तरफ से भारत को एक नोट भेजा गया है जिसमें कहा गया है कि न्याय का सामना करने के लिए उन्हें बांग्लादेश में भेजा जाना चाहिए। हालांकि इस नोट में ये नहीं बताया गया है कि क्या आरोप हैं।
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपनी सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र नेतृत्व वाले विद्रोह के बीच पांच अगस्त को भारत चली गई थीं। इस दौरान हुए विरोध प्रदर्शन में कई लोग घायल हुए। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुताबिक विरोध प्रदर्शनों के दौरान कम से कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए।
इस मामले में हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, शेख हसीना के खिलाफ 225 मामले दर्ज हैं, इनमें हत्या के 194, मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार के 16 मामले, अपहरण के तीन मामले, हत्या के प्रयास के 11 मामले और ‘बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी’ की रैली पर हमले के संबंध में एक मामला शामिल है। 17 अक्तूबर को न्यायाधिकरण ने हसीना और 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इसमें उनके बेटे सजीब वाजेद जॉय और उनके कई पूर्व कैबिनेट सदस्य शामिल हैं।
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