शीर्ष अदालत की दो टूक- मीडिया कोई भी बयान, समाचार प्रकाशित करने से पहले अत्यधिक सावधानी बरते
जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने दोहराया कि जनमत को आकार देने में मीडिया की ताकत महत्वपूर्ण है। प्रेस में उल्लेखनीय गति से जनता की भावनाओं को प्रभावित करने और धारणाओं को बदलने की क्षमता है। पीठ ने अंग्रेजी लेखक बुलवर लिटन के कथन का हवाला देते हुए कहा, कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली है।

नई दिल्ली (आरएनआई) सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार सर्वोपरि है, लेकिन मीडिया में प्रमुख पदों पर काम कर रहे लोगों को कोई भी बयान, समाचार या राय प्रकाशित करने से पहले अत्यंत सावधानी और जिम्मेदारी बरतनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी एक अंग्रेजी अखबार के संपादकीय निदेशक व अन्य पत्रकारों के खिलाफ मानहानि का मामला खारिज करते हुए की। इन लोगों पर बिड एंड हैमर - फाइन आर्ट ऑक्शनियर्स की ओर से नीलाम की जाने वाली कुछ पेंटिंग्स की प्रामाणिकता पर मानहानिकारक सामग्री प्रकाशित करने का आरोप लगाया गया था।
जस्टिस जेबी पारदीवाला व जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने दोहराया कि जनमत को आकार देने में मीडिया की ताकत महत्वपूर्ण है। प्रेस में उल्लेखनीय गति से जनता की भावनाओं को प्रभावित करने और धारणाओं को बदलने की क्षमता है। पीठ ने अंग्रेजी लेखक बुलवर लिटन के कथन का हवाला देते हुए कहा, कलम तलवार से अधिक शक्तिशाली है। मीडिया की व्यापक पहुंच को देखते हुए शीर्ष अदालत ने कहा है कि एक लेख या रिपोर्ट लाखों लोगों को प्रभावित कर सकती है, उनके विश्वासों और निर्णयों को आकार दे सकती है। इसमें संबंधित लोगों की प्रतिष्ठा को गंभीर नुकसान पहुंचाने की क्षमता है, जिसके परिणाम दूरगामी और स्थायी हो सकते हैं। लिहाजा समाचार लेखों का प्रकाशन जनहित और सद्भावना के साथ किया जाना चाहिए।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने इन पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने को चुनौती वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी। जिसके बाद पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। इन पर आईपीसी की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि के लिए दंड) के तहत आरोप थे। शिकायतकर्ता (कला नीलामी घर) ने आरोप लगाया कि सभी आरोपी व्यक्तियों की ओर से मुद्रित, प्रकाशित और प्रसारित किए गए मानहानिकारक समाचार ने पाठकों को शिकायतकर्ता को संदेह की दृष्टि से देखने के लिए प्रेरित किया और एक अनुचित और निराधार सार्वजनिक राय को भी बढ़ावा दिया कि सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से बिक्री के लिए पेश किया गया काम नकली हो सकता है।
पीठ ने कहा, हमारे सामने कोई भी ऐसा तथ्य नहीं रखा गया है जिससे पता चले कि नीलामी असफल रही या अखबारों में प्रकाशित समाचार लेखों के कारण वास्तव में कोई नुकसान या हानि हुई। साथ ही पीठ ने यह भी कहा कि इस स्तर पर गवाहों की जांच के लिए मामले को वापस भेजने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा। यह केवल मुकदमे को लंबा खींचेगा और इससे कोई लाभ नहीं होगा, खासकर तब जब नीलामी पहले ही समाप्त हो चुकी है और एक दशक से अधिक समय बीत चुका है।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?






