शीतसत्र ने झेली विवादों की गर्मी, राज्यसभा का 60 और लोकसभा का 42 फीसदी समय नष्ट
शीतकालीन सत्र में संसद के दोनों सदनों में केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच विवादों की गर्मी देखने को मिली। अदाणी मुद्दे पर शुरू हुई पक्ष-विपक्ष की तकरार आंबेडकर के नाम पर धक्का-मुक्की और मुकदमे तक पहुंची।
नई दिल्ली (आरएनआई) संसद का शीतकालीन सत्र कभी न भूले जा सकने वाले शर्मनाक विवादों के नाम रहा। अदाणी मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच शुरू हुई सियासी जंग तल्ख आरोप-प्रत्यारोप के बाद संविधान निर्माता आंबेडकर के नाम पर धक्का-मुक्की और अंत में मुकदमे तक जा पहुंची। दरकते रिश्ते के बीच संसदीय इतिहास में पहली बार उच्च सदन के सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। दोनों पक्षों के बीच हुई तीखी तकरार के कारण उच्च सदन का 60 फीसदी तो लोकसभा का 42 फीसदी समय हंगामे की भेंट चढ़ गया।
विपक्ष ने सत्र से ठीक पहले उद्योगपति अदाणी के खिलाफ अमेरिकी अदालत में अभियोग तय किए जाने को दोनों सदनों में बड़ा मुद्दा बनाया। सत्र का पहल हफ्ता इसी मुद्दे पर खींचतान में गुजरा। इस बीच सरकार और विपक्ष में संविधान के 75 साल की गौरवमयी यात्रा पर दो दिवसीय विशेष चर्चा पर सहमति बनी। हालांकि इसी दौरान विपक्ष की ओर से सभापति धनखड़ पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दिए गए अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस के कारण तनातनी और बढ़ गई।
लोकसभा में शुक्रवार को राष्ट्रगीत के दौरान खड़े विभिन्न दलों के सांसद सुबह हंगामे के बीच जैसे ही स्पीकर ने कहा, अब वंदे मातरम गाया जाएगा, वेल में जमा विपक्षी सांसद प्रदर्शन छोड़ अपनी सीटों पर लौट गए। गान खत्म होने के तुरंत बाद कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
कामकाज की दृष्टि से सत्र का प्रदर्शन औसत रहा। इस दौरान लोकसभा में चार तो राज्यसभा में तीन विधेयक पारित किए गए। लोकसभा में चार विधेयक पुन:स्थापित किए गए। इनमें एक देश- एक चुनाव विधेयक को जेपीसी के पास भेजा गया। हंगामे और कामकाज ठप रहने के कारण एक दर्जन विधेयकों को पेश तक नहीं किया जा सका। चर्चा थी कि सरकार इसी सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक पेश करेगी, मगर ऐसा नहीं हो पाया।
संविधान की 75 साल की यात्रा पर संसद में चर्चा हुई। विपक्ष ने उच्च सदन में चर्चा का जवाब देने के क्रम में गृह मंत्री अमित शाह की आंबेडकर के संबंध में की गई टिप्पणी को उनके अपमान से जोड़ते हुए इस्तीफे की मांग की। इस मुद्दे पर दोनों पक्ष संसद के अंदर-बाहर आमने-सामने आए। इसी क्रम में दोनों पक्षों के बीच धक्कामुक्की में भाजपा के दो सांसद घायल हुए। इसके बाद भाजपा ने राहुल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।
संसद के दोनों सदनों में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर दो दिन की चर्चा हुई, इसमें प्रधानमंत्री के साथ-साथ सभी दलों के दिग्गज नेताओं ने हिस्सा लिया। चर्चा के दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर जम कर आरोप लगाए। संविधान की प्रस्तावना, 75 साल की उपलब्धियों और कमी के साथ चुनौतियों पर एक भी वक्ता ने पक्ष नहीं रखा। विपक्ष ने सरकार पर संविधान को कमजोर करने का आरोप लगाया तो सत्ता पक्ष ने कांग्रेस कार्यकाल में हुईं गलतियों, ज्यादतियों को ही रेखांकित किया गया।
सत्र का 42 फीसदी समय हंगामे व विवाद के कारण नष्ट होना चिंतनीय है। संसद की गरिमा और मर्यादा की रक्षा करना सामूहिक जिम्मेदारी है।
संसद में तर्कसंगत संवाद की जगह अराजकता निराश करने वाली है। सभी पक्ष आत्मचिंतन करें। क्या हम लगातार व्यवधान खड़ा कर जनता के विश्वास व अपेक्षाओं का मजाक उड़ाने यहां आए हैं? इस पवित्र कक्ष में ऐसे आचरण की जरूरत है, जो हमारी शपथ का सम्मान करे, न कि नाटकीयता की जो इसे धोखा देती है।
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