शिवराज बोले- CM हेल्पलाइन से हो रही ब्लैकमेलिंग: अब सुधार की जरूरत
IAS-IPS को नसीहत, अहंकार से दूर रहें
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि CM हेल्पलाइन में अब सुधार की जरूरत है। कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। कई बार लोग परेशान करने के लिए जनप्रतिनिधियों और सरपंच की शिकायत करवा देते हैं कि जांच हो जाए। फंसेगा तो फिर उसे ब्लैकमेल करो। शिकायत बंद कराने के लिए ब्लैकमेल करने के लफड़े शुरू हो गए। हम टेक्नोलॉजी से दूर नहीं रह सकते, लेकिन विश्लेषण कर लेना चाहिए।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को सिविल सर्विस डे पर प्रशासन अकादमी भोपाल में हुए कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि मैं IAS-IPS हूं, 2 मिनट में सही कर दूंगा, इस अहंकार से दूर रहना चाहिए। कहते हैं कि घमंडी का सिर नीचे होता है। यह आज भी 100% सही है। सर्विस का घमंड आ गया कि हम IAS या IPS हैं, तो ये आदमी को चढ़ाने वाला मामला है। हम जनता के सेवक हैं। मुख्यमंत्री है तो जनता की सेवा के लिए हैं। हम सबको अहंकार शून्य होना चाहिए। धूल चढ़े और पसीने की बदबू वाले आदमी को गले लगाने में मुझे आनंद आता है।
मुख्यमंत्री की स्पीच की 5 प्रमुख बातें...
1). MP में कलेक्टर लाटसाब नहीं
कलेक्टर साहब तो लाटसाब हैं, कैसे मिलें। ये हमने मध्यप्रदेश में खत्म कर दिया। हमारे यहां लोग बेहिचक कलेक्टर-एसपी से मिलते हैं। मध्यप्रदेश में सबसे बड़ी उपलब्धि है कि हमने जनता और प्रशासन के बीच की दूरी खत्म कर दी। कई राज्यों में तो कलेक्टर से मिलना बड़ी बात होती है।
2). हमारे यहां कभी 71 हजार किमी टूटी सड़कें थीं
टीम को बधाई देना चाहता हूं। हमने मध्यप्रदेश को विकसित और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कई बार सोचता हूं तो यहां केवल 71 हजार किमी टूटी सड़कें हुआ करती थीं। आज मध्यप्रदेश का बजट 3 लाख 14 हजार करोड़ पहुंच गया है। हमारे पास संसाधन और रिसोर्स हैं। मप्र कभी बीमारू राज्य कहलाता था।
3). बुरहानपुर प्रशासन ने बड़ी समस्या ढंग से निपटा दी
पिछले दिनों बुरहानपुर में परिस्थिति बनी थी, वहां के प्रशासन ने बड़ी समस्या को ढंग से निपटा दिया। कई बार हम अच्छा काम करते हैं, लेकिन राजनीतिक नजर, मीडिया की दृष्टि अलग होती है। नए अफसर शुरुआत में बहुत उत्साह से काम करते हैं, बाद में ढीले पड़ जाते हैं। उत्साह की आग जलती रहना चाहिए।
4). सबसे ज्यादा दीन-हीन उद्योगपति
मैं 64 साल का हो गया हूं और कितना जीऊंगा 10, 12, 15 साल। दौलत कभी सुख नहीं देती। हमारे आदिवासी भाइयों को कल की चिंता नहीं रहती। वे हर दिन त्योहार मनाते हैं। वहीं, बडे़ उद्योगपति मेरे पास आते हैं। कहते हैं- सर ये छूट दे दीजिए। पहले मुझसे मिलेंगे, फिर अफसर से जाकर मिलते हैं। सबसे ज्यादा दीन-हीन यही लगते हैं।
5). 10-12 दिन मैं विचलित हो गया था
मैं 15 महीने मुख्यमंत्री नहीं था। झोला लेकर निकल गया। आंदोलन किए। दोबारा जिन परिस्थितियों में मुख्यमंत्री बना तो भगवान से प्रार्थना करता था। भगवान से कहता था मदद करो कोरोना कंट्रोल हो जाए। अफसरों-विधायकों के फोन आते थे- सर, ऑक्सीजन 15 मिनट की बची है। 10-12 दिन ऐसे थे, जब मैं भी विचलित हो गया था।
मुख्य सचिव बोले- हम मनन करें कि आगे क्या होंगे
कार्यक्रम में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने कहा- सिविल सर्विस की लंबी परंपरा देश में रही है। इसका इतिहास, उपलब्धियां और सफलताओं को सेलिब्रेट करने के लिए इस दिन का आयोजन करते हैं। ये दिन मूलत: लोकसेवा में हमारी उत्कृष्टता को दोहराने का दिन है। हमारी प्रशासनिक व्यवस्था डटकर हर चुनौती का मुकाबला करती है। हमने हर टास्क को अपेक्षाओं पर खरा उतारा है। ऐसी योग्य और दक्ष टीम के साथ काम करने का मौका मिला। अब पब्लिक ऑडिट और स्क्रूटनी की बहुत मांग बढ़ी है। ऐसे में बहुत सी कमियां सामने आती हैं। अपने अच्छे काम को प्रचारित करने और उसकी व्याख्या करने में हम कमजोर पड़ जाते हैं। नतीजा ये होता है कि कमियां दिखने लगती हैं और उपलब्धियां नजर नहीं आतीं। इसलिए जरूरी है कि हम इस बात पर मनन करें कि हम क्या थे, क्या हैं और आगे क्या होंगे।
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