शिवपुरी में भू-माफिया राज: बिक गए श्मशान, मंदिर, जंगल और तालाब – सीलिंग एक्ट की खुलेआम धज्जियां!
1500 बीघा जमीन का महाघोटाला, प्रशासन मौन, माफिया मस्त 8.62 करोड़ की भूमि मात्र 1.5 करोड़ में रजिस्टर्ड श्मशान, मंदिर, तालाब और वनभूमि तक बेच डाली गई, शासन को करोड़ों का चूना।

शिवपुरी (आरएनआई) शिवपुरी ज़िले में प्रशासन और भू-माफियाओं की मिलीभगत ने नियम-कानूनों को मखौल बना दिया है। सीलिंग एक्ट, फॉरेस्ट एक्ट, और रजिस्ट्रेशन नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाते हुए सुरवाया क्षेत्र में 1500 बीघा भूमि की बेशर्मी से रजिस्ट्री कर दी गई। इस ज़मीन में श्मशान घाट, मंदिर, तालाब, आबादी क्षेत्र और जंगल तक शामिल थे — यानी जो न बिका हो, वो जमीन बची नहीं।
चौंकाने वाली बात यह है कि 8 करोड़ 62 लाख की शासकीय भूमि को महज़ 1.05 करोड़ रुपये में निजी कंपनी गुलमाता प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया गया। यह पूरी रजिस्ट्री 146 सर्वे नंबरों को मिलाकर की गई, और इसे फ्री होल्ड अकृषि भूमि दिखा दिया गया, जबकि असलियत में अधिकांश ज़मीन वन भूमि थी।
> एक महिला पटवारी के बयान पर बदल दी गई ज़मीन की किस्म
21 नवम्बर 2010 को तत्कालीन कमिश्नर लैंड रिकॉर्ड ने केवल कु. प्रीति वर्मा नामक महिला पटवारी के बयान के आधार पर इस विशाल भूमि को "अकृषि भूमि" में बदलने का आदेश दे दिया। ये प्रक्रिया फॉरेस्ट एक्ट और राजस्व नियमों की पूरी तरह अवहेलना है। शासन की आंखों में धूल झोंककर जंगलों को बाजार बना दिया गया।
> शासन को भारी स्टाम्प ड्यूटी का नुकसान
इस घोटाले से शासन को न सिर्फ़ जमीन का घाटा हुआ बल्कि करोड़ों की स्टाम्प ड्यूटी की चपत भी लगी। यही नहीं, इस पूरे फर्जीवाड़े में पंजीयन विभाग, राजस्व विभाग और वन विभाग के अधिकारियों की सीधी संलिप्तता सामने आई है।
> नामांतरण भी करा लिया गया, मामला गंभीर
सूत्रों के अनुसार, हाल ही में इस जमीन का नामांतरण भी करा लिया गया है, जिससे नए-नए चेहरे भी इस गैरकानूनी घोटाले में सामने आ सकते हैं। अब यह मामला ग्वालियर लोकायुक्त एसपी के पास जांचाधीन है, और जल्द ही बड़े अफसरों से जवाब-तलब की तैयारी की जा रही है।
पटवारी का तर्क
जब इस मामले में पटवारी दीपक गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “यह भूमि 6 प्रकरणों में थी, जिनका नामांतरण हो गया है। जहां तक जानकारी है, यह शिवपुरी बना भू-माफियाओं का चारागाह
> यह मामला अब मामूली नहीं रहा। यह एक संकेत है कि शिवपुरी में जमीनों की खुली लूट हो रही है, और शासन-प्रशासन के जिम्मेदार अफसर आंखें मूंदे बैठे हैं। अब जनता पूछ रही है — श्मशान, मंदिर और जंगल भी बिकेंगे तो बचेगा क्या?
अब देखना यह है कि क्या लोकायुक्त की जांच वाकई किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेगी या यह मामला भी बाकी घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा?
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