शिल्पकारों पर दिखेगा आरजी कर घटना का असर, बांग्लादेश हिंसा का प्रभाव कुम्हार टुली के बाजार में दिखा
कहीं-कहीं 20 से 30 प्रतिशत दिख रहा है असर बाजारों से रौनक गायब, दुर्गापूजा रहेगा इस बार थोड़ा फीका नौ अगस्त के बाद ऑर्डर हुए कम, मूर्तियों का साइज भी छोटा रहेगा, विदेशी ऑर्डर जुलाई में ही भेजे जा चुके हैं।
कोलकाता (आरएनआई) आरजी कर मेडिकल कॉलेज की घटना का असर शिल्पकारों पर नहीं पड़ा गलत होगा। खास कर बड़ी मूर्तियों पर इसका असर पड़ा है। कहीं-कहीं 20 से 30 प्रतिशत तक इसका असर देखने को मिल रहा है। भले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से उत्सव में लौटने का आह्वान किया लेकिन ने जो घटना घटी है, उससे बंगाल में के लोगों का मन में वह उत्साह नहीं है, जिनता कि पिछले वर्षों में इस समय देखने को मिलता था।उन्होंने कहा, विदेश में जो मूर्तियां जाती थीं, वह जुलाई तक सारी जा चुकी हैं। मां के गहनों और सजावट सामान के विक्रेता संजय पाल कहते हैं, बांग्लादेश में जो उथल-पुथल हुआ का असर सजावटी सामान के बाजार में दिखने को मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि पूरी दुनिया में कोलकाता का दुर्गापूजा प्रसिद्ध है। यहां पर करीब 200 साल पुरानी एक एक बस्ती है कुमार टुली , जहां से देश और दुनिया की करीब 80 प्रतिशत से अधिक मां दुर्गा प्रतिमाओं की आपूर्ति होती है।
बड़े पडालों में दिख रहा है ज्यादा असर, मूर्तियां हुईं छोटी सुजीत ने कहा, काफी बुकिंग तो जुलाई में ही हो जाती हैं। नौ अगस्त के बाद बड़ी मूर्तियों की बुकिंग कम हुई हैं। क्योंकि लोगों के मन में एक तरह का गुस्सा है। वे मन से खुश नहीं है। इसका असर जो बड़े-बड़े पंडाला लगते थे उन पर पड़ेगा। प्रायोजकों ने हाथ पीछे खींच लिए हैं। इसलिए जो पंडाल पिछले वर्षों में 40 लाख तक के बनते थे, इस बर वह 15 से 20 लाख तक में सिमट रहे हैं। साथ ही इस बार बड़ी मूर्तियां कम हो देखने को मिलेंगी, क्योंकि बुकिंग में मूर्तियों की साइज छोटी करके बनाने को कहा जा रहा है। इस कारण शिल्पकारों पर इसका असर सीधे तौर पर देखने को मिल रहा है। हालांकि, हम खुद भी चाहते हैं कि पीड़िता को न्याय मिले। इसलिए कुम्हार टुली के शिल्पकारों ने पीड़िता के न्याय के लिए रैली भी निकाली। लेकिन विदेशों से जो ऑर्डर मिले थे, वह जुलाई तक भेजे जा चुके हैं।
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