शिमला-कांगड़ा समेत हिमाचल प्रदेश के छह जिलों में भूकंप के झटके
रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.3 आंकी गई। इन जिलों में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है। उपायुक्त चंबा मुकेश रैप्सवाल ने बताया कि भूकंप के झटकों से जिले में किसी प्रकार के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है।
शिमला (आरएनआई) हिमाचल प्रदेश के शिमला, चंबा, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और हमीरपुर जिले में बृहस्पतिवार रात 9:35 पर भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। अचानक लगे झटकों के बाद लोग घरों से निकल कर खुली जगह पर पहुंच गए। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.3 आंकी गई। हालांकि इन जिलों में किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है। उपायुक्त चंबा मुकेश रैप्सवाल ने बताया कि भूकंप के झटकों से जिले में किसी प्रकार के जानमाल का नुकसान नहीं हुआ है।
कुल्लू और लाहौल घाटी में एक के बाद एक कई भूकंप के झटके महसूस किए गए। रात करीब 9:35 बजे आए भूकंप के तीन से चार झटकों के बाद लोग घर से बाहर निकल आए। केलांग में तो लोग कड़ाके की ठंड में बच्चों के साथ बाहर निकले। वहीं मनाली और कुल्लू में लोग घर से बाहर आए। गुरदेव कुमार ने कहा कि वह अपनी पोती को लेकर घर बाहर निकले। एडीएम कुल्लू अश्वनी कुमार ने कहा कि भूकंप के झटके लगे हैं। मगर कहीं से नुकसान की सूचना नहीं है।
कांगड़ा में चार अप्रैल 1905 की सुबह आए 7.8 की तीव्रता वाले भूकंप में 20 हजार से ज्यादा इंसानी जानें चली गई थीं। भूकंप से कांगड़ा और आस पास एक लाख के करीब इमारतें तहस-नहस हो गई थीं, 53 हजार से ज्यादा मवेशी भी भूकंप की भेंट चढ़ गए थे।
पृथ्वी के अंदर सात प्लेट्स हैं, जो लगातार घूमती रहती हैं। जहां ये प्लेट्स ज्यादा टकराती हैं, वह जोन फॉल्ट लाइन कहलाता है। बार-बार टकराने से प्लेट्स के कोने मुड़ते हैं। जब ज्यादा दबाव बनता है तो प्लेट्स टूटने लगती हैं। नीचे की ऊर्जा बाहर आने का रास्ता खोजती हैं और डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।
भूकंप का केंद्र उस स्थान को कहते हैं जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है। इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है। कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है। फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर सात या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में। यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर को है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा।
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। रिक्टर स्केल पर भूकंप को 1 से 9 तक के आधार पर मापा जाता है। भूकंप को इसके केंद्र यानी एपीसेंटर से मापा जाता है। भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है। इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है।
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