शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के कोर्ट की निगरानी में सर्वे कार्य पर रोक बढ़ी; सुप्रीम कोर्ट का फैसला
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में करेगी।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के कोर्ट की निगरानी में सर्वे कार्य पर रोक बढ़ा दी। कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक बढ़ाई है, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। परिसर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के बगल में है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि वह मस्जिद परिसर के अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण के खिलाफ ट्रस्ट शाही मस्जिद ईदगाह प्रबंधन समिति की याचिका पर सुनवाई एक अप्रैल से शुरू होने वाले सप्ताह में करेगी। सीजेआई ने कहा कि शीर्ष अदालत में अभी तीन मुद्दे लंबित हैं। इनमें एक अंतर-न्यायालय अपील का मुद्दा (हिंदू वादियों द्वारा दायर मुकदमों के समेकन के खिलाफ), दूसरा अधिनियम (पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 को चुनौती) शामिल है।
पीठ ने कहा कि इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक जारी रहेगी, जिसमें मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी। शीर्ष कोर्ट ने पिछले साल 16 जनवरी को पहली बार हाईकोर्ट के 14 दिसंबर 2023 के आदेश के अनुपालन पर रोक लगा दी थी। इससे पहले हाईकोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद परिसर का अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी और इसकी देखरेख के लिए अदालत आयुक्त की नियुक्ति पर सहमति जताई थी।
हिंदू पक्ष का दावा है कि परिसर में ऐसे चिह्न मौजूद हैं जिनसे पता चलता है कि वहां कभी मंदिर था। हिंदू पक्षों के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि मस्जिद समिति की अपील हाईकोर्ट के 14 दिसंबर 2023 के आदेश के खिलाफ दायर की गई थी। ये सभी याचिकाएं निरर्थक हो गई हैं, क्योंकि उच्च न्यायालय ने अपना आदेश बाद में सुनाया है।
विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट के बाद के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कोर्ट ने मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित 18 मामलों की विचारणीयता को चुनौती देने वाली मुस्लिम पक्षकारों की याचिका को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि मस्जिद के धार्मिक चरित्र को निर्धारित करने की आवश्यकता है।
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