शासन प्रशासन की अनदेखी का खामियाजा भुगत रहा आदिवासी समाज, गर्भवती महिला को खटिया पर ले जाना मजबूरी
कलेक्टर गुना, एसडीएम राघौगढ़ और विधायक को दिया कई बार आवेदनग्राम नाथूपुरा और पंचायत भदैडी के लोग सड़क, बिजली, पानी, पुलिया, स्कूल और मुक्तिधाम की समस्या दूर करने की लगा चुके हैं गुहार।
गुना (आरएनआई) आज आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके बावजूद भी गरीब लोग आजादी और मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। जिन्हे आजादी चाहिए वह आज भी शासन प्रशासन से गुहार लगा लगाकर थक चुके हैं। ऐसे तमाम लोग जिला प्रशासन की जनसुनवाई में आते हैं और आवेदन देकर चले जाते हैं, किंतु उनके आवेदन की मांग वर्षों तक हल नहीं होती।
दरअसल इसकी एक बानगी जिले की तहसील राघौगढ़ में शनिवार उस समय देखने और सुनने को मिली है, जब एक प्रसूता महिला को खटिया पर लिटाकर चार लोगों ने मीलों चलकर एंबुलेंस तक पहुंचाया। गांव में यह नजारा अक्सर देखने को मिलता है और यह कोई पहला मौका नहीं है।
उक्त समस्या के निदान के लिए समस्त आदिवासी समाज, आदिवासी युवा शक्ति जयस संगठन राघौगढ़, हेमराज सहरिया ब्लॉक अध्यक्ष राघौगढ़, फूल सिंह सहरीय प्रदेश अध्यक्ष, श्रीलाल, देशराज, मुन्नालाल, कमला बाई, रमेश, अजय, रवि और संजू सहित ग्राम नाथूपुरा और पंचायत भदैडी के लोग कलेक्टर गुना, एसडीएम राघौगढ़ और विधायक को कई बार आवेदन दे चुके हैं। इसके वावजूद भी अंधे, बहरे और गूंगे प्रशासन ने उनके गांव और पंचायत में वर्षों से सड़क, बिजली, पानी, पुलिया, स्कूल और मुक्तिधाम की समस्या दूर नही की। मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहे ग्रामीण लोगों तक हर बार की तरह इस बार भी सड़क के अभाव में गांव तक एंबुलेंस नही पहुंच सकी। ऐसे में गर्भवती महिला को खटिया पर लेटाकर कांधों के सहारे आधा किलोमीटर तक पैदल चले लोग बमुश्किल से कोषों दूर कड़ी एंबुलेंस में बैठा पाए। बरसात के समय में भी गांव का संपर्क बाजार से टूट जाता है। आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता है। उस समय में गांव के बद से भी बत्तर हालात हो जाते हैं। यह राघौगढ़ तहसील के नाथूपुरा गांव का मामला है। यहां नारकीय जीवन जी रहे ग्रामीण कई बार प्रशासन को आवेदन देकर शिकायत कर चुके हैं फिर भी आज तक नहीं हुआ समाधान। अब देखते हैं कब तक इनकी समस्या का समाधान होगा।
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