शानदार प्रदर्शन के बाबजूद भी बीएसपी हरदोई संसदीय सीट पर आज तक नहीं फहरा सकी परचम
हांथी की मस्त चाल ने कई बार हरदोई सीट पर बिगाड़े समीकरण ।
हरदोई (आरएनआई) 1952मे गठित 31लोकसभा हरदोई संसदीय सीट पर कभी कांग्रेस का डंका बजा करता था। लेकिन 1991के लोकसभा चुनाव में भाजपा से चुनाव मैदान में उतरे जयप्रकाश रावत ने कांग्रेस की ऐसी लुटिया डुबोयी जो आज तक ऊपर नहीं आ सकी।इस चुनाव में जहां जयप्रकाश रावत ने 133025मत प्राप्त कर कांग्रेस प्रत्याशी मितान को 38257 मतों के भारी अन्तर से हरा कर पहली बार भाजपा का कमल खिलाने में कामयाब रहे।1996के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने फिर अपने सिटिंग सांसद जयप्रकाश रावत पर ही दांव लगाया। जयप्रकाश रावत ने एक बार फिर कमल खिलाने में कामयाबी हासिल की। लेकिन इस बार इस सीट पर चुनावी समीकरण बदल गये। इस बार इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे श्याम प्रकाश शानदार प्रदर्शन करते हुए बहुजन समाज पार्टी की जबरदस्त उपस्थित दर्ज करायी। कांग्रेस तीसरे पायदान पर चली गयी।इस चुनाव में भाजपा के जयप्रकाश रावत को 192278मत मिले वहीं बीएसपी को 118960मत प्राप्त हुये।1998के लोक सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने ऊषा वर्मा को अपना प्रत्याशी घोषित किया। ऊषा वर्मा ने अपनी जीत दर्ज कराते हुए 206634मत प्राप्त कर भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश रावत को कड़े मुकाबले में 15426मतो से करारी शिकस्त दी।इस चुनाव में बीएसपी तीसरे पायदान पर चली गयी वहीं कांग्रेस चौथे स्थान पर रही।इस चुनाव के बाद हरदोई की राजनीति ने बड़ा करवट ले लिया। इस दौरान नरेश अग्रवाल ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़कर एक नयी पार्टीलोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन किया । पार्टी गठन के बाद जयप्रकाश रावत भाजपा छोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस में सम्मिलित हो गये।इसी बीच 1999मे हुए लोकसभा चुनाव में जनतांत्रिक कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में उतरे जयप्रकाश रावत ने सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा को करारी पटखनी देते हुए अपना हिसाब बराबर कर लिया।इस चुनाव में भाजपा को भारी नुक़सान उठाना पड़ा। इसके बाद2004के लोकसभा चुनाव में सपा ने फिर ऊषा वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा इस बार के चुनाव में सपा बसपा का सीधा मुकाबला दिखाई दिया।सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा को जहां 223445 मत मिले वहीं बीएसपी के शिवप्रसाद वर्मा को 164242मत प्राप्त हुये।कड़े संघर्ष में एक बार फिर ऊषा वर्मा ने43242मतो से जीत दर्ज कराने में सफल रही। इसके बाद 2009के लोकसभा चुनाव में सपा ने फिर अपने सिटिंग सांसद को चुनावी मैदान में उतारा वहीं बीएसपी ने रामकुमार कुरील को प्रत्याशी घोषित किया।इस चुनाव में भी हाथी साइकिल की जबरदस्त टक्कर हुई। लेकिन सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा एक बार फिर जीत दर्ज कराने में कामयाब रही।इस चुनाव में सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा को 294030मत मिले वहीं बीएसपी प्रत्याशी रामकुमार कुरील को 201095मत मिले।इस चुनाव में सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा ने बीएसपी प्रत्याशी रामकुमार कुरील को 92935मतो से हराकर जीत दर्ज कराई।इस चुनाव में भाजपा ने पूर्णिमा वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया। पूर्णिमा वर्मा को 54115मतो से ही सन्तोष करना पड़ा। कांग्रेस के शिवकुमार को 13000 मत प्राप्त हुए।इसके बाद 2014के लोकसभा चुनाव सपा से ऊषा वर्मा, बीएसपी से शिवप्रसाद वर्मा,और भाजपा सेअंशुल वर्मा चुनाव मैदान में उतरे।इस चुनाव में मोदी लहर में एक बार फिर अंशुल वर्मा कमल खिलाने में कामयाब रहे।वहीं हांथी की मतवाली चाल में साइकिल फंस कर रह गयी।इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अंशुल वर्मा को 360501मत मिले वहीं बीएसपी प्रत्याशी शिवप्रसाद वर्मा को 279158मत प्राप्त हुये सपा तीसरे पायदान पर चली गयी।ऊषा वर्मा को 276543 मत ही प्राप्त हो सके। इसके बाद 2019के लोकसभा चुनाव में दलों के दल में फंसे जयप्रकाश रावत सभी दलों को चीरते हुए अपने घर भाजपा में लौटे आये। जयप्रकाश रावत की वापसी पर भाजपा ने अपने सिटिंग सांसद अंशुल वर्मा का टिकट काट कर घर लौटे जयप्रकाश रावत को दे दिया। सपा ने इस बार बीएसपी से गठबंधन कर लिया। सपा ने
ऊषा वर्मा पर जीत का भरोसा कर गठबंधन प्रत्याशी घोषित किया। लेकिन इस चुनाव में बीएसपी का कोर वोटर साइकिल में शिफ्ट नहीं हो सका इसका परिणाम यह हुआ भाजपा अपना जीत का सिलसिला बरकरार रखने में कामयाब रही वहीं मत प्रतिशत बढ़ने के बावजूद भी सपा को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी जयप्रकाश रावत को 568143 मत प्राप्त हुए वहीं सपा प्रत्याशी ऊषा वर्मा को 435669मत प्राप्त हुए।इस बार 2024के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर अपने सिटिंग सांसद जयप्रकाश रावत को चुनावी मैदान में उतारा है वही दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने फिर एक बार ऊषा वर्मा पर भरोसा जताते हुए चुनावी मैदान में उतारा है। बीएसपी ने अपने एमएलसी भीमराव अम्बेडकर को प्रत्याशी घोषित किया है।इस चुनाव में जहां एक ओर सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी जयप्रकाश रावत को एक बार फिर मोदी के नाम पर जीत की उम्मीद लगाए हैं वहीं सपा प्रत्याशी को मोदी विरोधी वोट से जीत की उम्मीद है। लेकिन बसपा प्रत्याशी दलित वोटरों को एकजुट कर जीत दर्ज कराने की उम्मीद पाले हैं।इस सीट पर बसपा लगातार शानदार प्रदर्शन करने के बाद भी आजतक जीत का स्वाद नहीं चखा सकी है। लेकिन हांथी की मस्त चाल ने इस सीट कई बार राजनीतिक दलों के चुनावी समीकरण बिगाड़ने में कामयाबी हासिल की है।ऐसे में इस बार के चुनाव में भी हाथी किसका चुनावी समीकरण बिगाडेगी देखना दिलचस्प होगा।
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