शांतिधारा दिवस के रूप में 5 जून को मनेगा भगवान शांतिनाथ का जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक

हजारों कलशों से होगा भगवान महामस्तकाभिषेक, चढ़ेगा निर्वाण लाडू

Jun 2, 2024 - 23:12
Jun 2, 2024 - 23:13
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शांतिधारा दिवस के रूप में 5 जून को मनेगा भगवान शांतिनाथ का जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक

गुना (आरएनआई) जिला मुख्यालय से 7 किमी दूर बजरंगगढ़ स्थित श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन पुण्योदय अतिशय तीर्थ क्षेत्र पर 900 वर्ष से अधिक प्राचीन भगवान शांतिनाथ, कुंथुनाथ एवं अरहनाथ की जिन प्रतिमाओं का महामस्तकाभिषेक 5 जून को होगा। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष एसके जैन एवं महामंत्री प्रदीप जैन ने बताया कि आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज एवं नवाचार्य समय सागरजी महाराज के मंगल आशीर्वाद एवं निर्यापक मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज की मंगल प्रेरणा से प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी भगवान शांतिनाथ के जन्म, तप और मोक्ष कल्याणक को शांतिधारा दिवस मनाया जाएगा। इस मौके पर बजरंगगढ़ स्थित पुण्योदय शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर पर गुफा में विराजमान 18 फुट ऊंची भगवान शांतिनाथ, कुंथुनाथ एवं अरहनाथ भगवान का महामस्ताकाभिषेक हजारों कलशों से होगा। कार्यक्रम के तहत 5 जून को ज्येष्ठ मासे कृष्ण पक्षे चतुर्दशी को प्रात: 7 बजे से प्रतिष्ठाचार्य संजय जैन शास्त्री द्वारा मंगलाष्टक आरंभ कराया जाएगा। तत्पश्चात मुख्य पात्रों का चयन, महामस्तकाभिषेक, शांतिधारा, पूजन तत्पश्चात निर्वाण लाडू चढ़ाया जाएगा। वहीं शाम 7:30 बजे से श्री भक्तांबर जी के 48 काव्यों पर 48 दीपकों द्वारा महाआरती का आयोजन किया जाएगा। कमेटी के अनुसार प्रात: काल क्षेत्र पर जाने के लिए नि:शुल्क वाहन की व्यवस्था पवनश्री मांगलिक भवन जयस्तंभ चौराहे से की गई है। 
उल्लेखनीय है कि लगभग 900 वर्ष प्राचीन भगवान शांतिनाथ की 18 फुट की उतंग प्रतिमा का महामस्तकाभिषेक वर्ष में दो बार ही आयोजित होता है। यह प्रथम महामस्तकाभिषेक नववर्ष को एवं द्वितीय महामस्तकाभिषेक ज्येष्ठ शुक्ल चौदस को भगवान शांतिनाथ के जन्म, तप और मोक्ष कल्याण के विशेष मौके पर आयोजित होता है। जैनाचार्य विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज की प्रेरणा से यहां प्रतिवर्ष नूतन वर्ष के स्वागत बेला में भगवान का महामस्तकाभिषेक होने की परंपरा शुरू करवाई गई थी। इसके अलावा मंदिर पर प्रतिदिन मूलनायक भगवान का चरणाभिषेक एवं भगवान की शांतिधारा में सैकड़ों श्रद्धालु गुना, आरोन से पहुंचते हैं। इसके लिए मुनि पुंगव सुधा सागरजी महाराज के मार्गदर्शन और आशीर्वाद से सात दिनों के सात मंडल बनाए गए हैं। क्रमश: गुना एवं आरोन से प्रात: निर्धारित समय पर अभिषेक रथ के रूप में बसें बजरंगगढ़ की ओर प्रस्थान करती हैं।

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