शरद पूर्णिमा पर ग्रहण का साया, खीर बनाने से पहले जान लें ये नियम
नई दिल्ली, (आरएनआई) इस साल शरद पूर्णिमा का त्योहार चंद्र ग्रहण के साये में मनाया जाएगा। इस बार का चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा जो आधी रात को लगेगा और इसका सूतक दोपहर में शुरू होगा। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर दिन में ही पूजा-अर्चना समेत अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस बार 28 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। परन्तु चंद्रमा की शीतल रोशनी में बनाई जाने वाली खीर इस बार ग्रहण के कारण आधी रात को नहीं बनाई जाएगी। अत: ऐसे में ग्रहण समाप्त होने के बाद ही खीर बना सकेंगे। यह स्थिति नौ साल के बाद बन रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र और मेष राशि पर लगेगा। ऐसे में खीर बनाने से पूर्व उससे जुड़े नियमों के बारे में आपको जानना होगा। आइए जानते हैं उन नियमों के बारे में।
इस साल शरद पूर्णिमा पर आपको सावधानी बरतने की आवश्कता रहेगी। क्योंकि इस बार शरद पूर्णिमा पर शाम चार बजे सूतक लग जाएगा। ऐसे में चंद्रग्रहण तक खीर बनाना निषेध रहेगा। ऐसे में आप खीर बनाने के लिए गाय के दूध में सूतक काल शुरू होने के पहले कुशा डाल दें। फिर उसे ढककर रख दें। इससे सूतक काल के दौरान दूध शुद्ध रहेगा।
इसकी खीर बनाकर भोग लगा सकेंगे। इस दौरान खीर बनाने की प्रक्रिया ग्रहण खत्म होने के बाद शुरू की जाएगी। फिर भोर में आप अमृत वर्षा के लिए इसे खुले आसमान के नीचे रख सकते हैं।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 28 अक्तूबर प्रातः 4 बजकर 17 मिनट पर होगा। इसके बाद 29 अक्तूबर, रात्रि 01:53 मिनट पर ये समाप्त होगा।
ग्रहण का स्पर्श रात- 1:05 बजे
ग्रहण का मध्य रात्रि 1:44 बजे
ग्रहण का मोक्ष रात्रि 2:24 बजे
ग्रहण का सूतक दोपहर 4:05 बजे
हिंदू धर्म में चांद का भी अधिक महत्व होता है। और शरद पूर्णिमा के दिन चांद की रोशनी पड़ने हमारे जीवन में शांति आती है। चांद की रोशनी को हमारे स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जाता है। इसलिए इस रात आसमान के नीचे खीर बनाकर रखी जाती हैं। बाद में इसका सेवन करने से हमें औषधीय गुण भी प्राप्त होते हैं।
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