शंभू बॉर्डर पर किसान ने निगला जहर, अस्पताल में तोड़ा दम
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के एक किसान ने शंभू मोर्चा पर केंद्र सरकार की नीतियों से तंग आकर सल्फास (जहर) निगल लिया। हालत बिगड़ने पर किसान को राजपुरा के सरकारी हॉस्पिटल में पहुंचाया गया है, जहां किसान की हालत गंभीर बनी हुई है।
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पटियाला/मोगा (आरएनआई) खनौरी और शंभू बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के सब्र का बांध टूटने लगा है। वीरवार को किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के किसान ने शंभू मोर्चा पर सल्फास (जहर) निगल लिया। किसान ने आत्महत्या की कोशिश की है। किसान के सल्फास निगलने के तुरंत बाद उसकी हालत बिगड़ गई। आनन-फानन में उसे अस्पताल पहुंचाया गया। इलाज के दौरान किसान की मौत हो गई।
पंजाब के तरनतारन के किसान रेशम सिंह शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में बीते तीन दिन पहले ही शामिल हुए थे। रेशम सिंह तरनतारन के गांव पहुविंड के रहने वाले थे। रेशम सिंह को राजपुरा के सिविल अस्पताल लाया गया। जहां 11 बजे उनको मृत घोषित कर दिया गया। रेशम सिंह की मौत की खबर मिलते ही शंभू मोर्चे और मृतक किसान के गांव पहुविंड में माहौल शोकमय हो गया। किसानों का आरोप है कि रेशम सिंह ने केंद्र सरकार, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की नीतियों से आहत होकर सल्फास खाकर आत्महत्या की है।
तरनतारन के खेमकरण के गांव पहुविंड निवासी रेशम सिंह तीन दिन पहले छह जनवरी को अपने गांव से किसानों का जत्था लेकर शंभू बॉर्डर आए थे। वीरवार को उनके बेटे इंद्रजीत सिंह को शंभू बॉर्डर से सूचना मिली कि किसान आंदोलन से आहत होकर उनके पिता ने सल्फास निगल ली है। साथी किसानों द्वारा रेशम सिंह को राजपुरा के सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया। डाक्टरों द्वारा रेशम सिंह को बचाने के लिए काफी प्रयास किए गए, लेकिन उनकी मौत हो गई।
रेशम सिंह की पत्नी दविंदर कौर ने बताया कि उनका परिवार पूरी तरह से किसानी आंदोलन को समर्पित रहा है। दिल्ली आंदोलन के दौरान भी रेशम सिंह गांव से किसानों का जत्था लेकर कई दिन वहां डटे रहे। मार्केट कमेटी के पूर्व चेयरमैन रजवंत सिंह संधू, पूर्व सरपंच इंद्रबीर सिंह पहुविंड, किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के जोन अध्यक्ष दिलबाग सिंह पहुविंड, जगीर सिंह, गुरसेवक सिंह, बीरा सिंह ने कहा कि केंद्र की केंद्र सरकार तीनों कृषि कानून दोबारा लागू करना चाहती है। दिल्ली आंदोलन दौरान कई किसानों ने कुर्बानी दी। उस समय मोदी सरकार ने अपना फैसला वापस लेने की घोषणा की थी, लेकिन अब दोबारा किसान विरोधी कानून जारी करने का प्रयास किया जा रहा है।
रेशम सिंह की पत्नी दविंदर कौर, बेटे इंद्रजीत सिंह ने बताया कि शंभू व खनौरी बॉर्डर पर हजारों किसान धरना दे रहे हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन 45वें दिन भी जारी रहा। उनकी हालत दिन-प्रतिदिन नाजुक हो रही है, लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांगें नहीं मान रही। परिवार ने फैसला किया है कि रेशम सिंह का जब तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होती तब तक रेशम सिंह का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सभरां ने कहा कि किसान आंदोलन दौरान जान गंवाने वाले रेशम सिंह पहुविंड की कुर्बानी भुलाई नहीं जा सकती। किसान के परिवार को 25 लाख का मुआवजा, सामुहिक कर्ज माफी, परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। साथ ही उन सभी मांगों को पूरा किया जाए, जिनके लिए दो मोर्चे लगे हुए हैं। इस मौके हरप्रीत सिंह सिधवां, सतनाम सिंह माणोचाहल, हरजिंदर सिंह शकरी, मनजिंदर सिंह गोहलवड़, सलविंदर सिंह जीओबाला, सलविंदर सिंह चोताला ने रेशम सिंह पहुविंड को श्रद्धांजलि भेंट की।
किसान नेताओं ने कहा कि 10 जनवरी को पूरे देश में ग्रामीण स्तर पर मोदी सरकार के पुतले जलाए जाएंगे, ताकि केंद्र सरकार को पता लग जाए कि गांवों के लोग एमएसपी गारंटी कानून के मुद्दे पर डल्लेवाल के संघर्ष के साथ खड़े हैं। 13 जनवरी को नई खेती नीति के ड्राफ्ट की कॉपियां देशभर में जलाई जाएंगी। 26 जनवरी को देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि संघर्ष की अगली रणनीति की घोषणा दोनों मोर्चों से जल्द ही की जाएगी।
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