वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 में एक अपवाद खंड है, जो पति को अपनी बालिग पत्नी के साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बनाने की स्थिति में दुष्कर्म का मुकदमा चलाने से छूट देता है। याचिकाओं में इसी अपवाद खंड को चुनौती दी गई है।
नई दिल्ली। (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह वैवाहिक दुष्कर्म के मामले पर अक्तूबर के मध्य में सुनवाई करेगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें एक अहम कानूनी सवाल उठाया गया है। अगर कोई व्यक्ति अपनी बालिग पत्नी से जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसके खिलाफ दुष्कर्म का मामला नहीं चलाया जा सकता। याचिकाओं में इस कानूनी प्रावधान को चुनौती दी गई है। वकील करुणा नंदी ने कोर्ट में सबमिशन दिया कि वैवाहिक दुष्कर्म से संबंधित याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की जाए। इस सबमिशन पर नोटिस लेते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने बताया कि वह इन याचिकाओं को अक्तूबर के मध्य में सुनवाई के लिए लिस्ट करेंगे।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि 'फिलहाल हम संविधान पीठ की सुनवाई कर रहे हैं और संविधान पीठ की सुनवाई के बाद इसे लिस्ट किया जाएगा।' इससे पहले वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने भी इन मामलों पर जल्द सुनवाई की अपील की थी। बता दें कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 में एक अपवाद खंड है, जो पति को अपनी बालिग पत्नी के साथ गैर-सहमति से यौन संबंध बनाने की स्थिति में दुष्कर्म का मुकदमा चलाने से छूट देता है। याचिकाओं में इसी अपवाद खंड को चुनौती दी गई है।
शीर्ष अदालत ने बीती 16 जनवरी को वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने और उस पर आईपीसी प्रावधान से संबंधित याचिकाओं को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। इस पर केंद्र सरकार ने कहा था कि इस मामले के सामाजिक निहितार्थ हैं और सरकार, याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करेगी। पिछले साल मार्च में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति पर अपनी पत्नी के साथ दुष्कर्म करने के मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी थी। कर्नाटक उच्च न्यायालय के इस आदेश के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
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