वृंदावन में उड़ रहा गुलाल...प्रेम मंदिर के बाहर भक्तों की भीड़, जमकर खेल रहे होली
कान्हा की नगरी में होली का उल्लास छाया हुआ है। मथुरा, वृंदावन, बरसाना और दाऊजी में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। बरसाने की लट्ठमार और लड्डूमार होली के बीच अब यहां हर ओर गुलाल बरस रहा है। वहीं आज गोकुल में छड़ीमार होली का आयोजन होगा।

मथुरा (आरएनआई) भक्त प्रह्लाद और होलिका दहन की लीला गांव फालैन में जीवंत हुई। शुभ मुहूर्त पर संजू पंडा पहली बार होलिका के दहकते अंगारों के बीच सकुशल गुजर गए। इसी अग्नि परीक्षा को देने के लिए गांव के संजू पंडा ने एक महीने तक कठिन तप किया था। गांव फालैन में बृहस्पतिवार से शुरू हुए पंडा मेला में शाम ढलते-ढलते आस्था की लहरें हिलोरे भरने लगीं। श्रद्धालु होलिका से संजू पंडा के बच निकलने के उस दुर्लभ चमत्कारिक क्षण को देखने को आतुर थे। शुक्रवार को सुबह करीब चार बजे मंदिर में तप पर बैठे संजू पंडा ने अखंड ज्योति पर हाथ रखकर शीतलता महसूस की। हालांकि उस समय होलिका की लपटों ने चारों ओर खड़े श्रद्धालुओं को काफी पीछे धकेल दिया। लेकिन ज्यों ही संजू पंडा प्रह्लाद की माला को धारण कर निकले भक्त प्रह्लाद के जयघोष से पूरा वातावरण गूंज उठा। प्रह्लाद कुंड में स्नान के बाद चार बजकर 20 मिनट पर संजू पंडा ने धधकती होलिका की ओर दौड़ लगा दी। होलिका के अंगारों पर दस कदम रखकर पंडा होलिका से सकुशल बाहर निकले। मेला आचार्य पंडित भगवान सहाय एवं ग्रामीणों ने उन्हें अपनी गोद में भर लिया। चारों तरफ जय-जयकार के साथ गुलाल उड़ना शुरू हो गया। पंडा ने मंदिर में पहुंच कर पूजा अर्चना की। इस क्षण के हजारों श्रद्धालु गवाह बने।
ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में होली की धूम मची रही। रंगीली होली के समापन के दिन भक्त अपने आराध्य श्रीबांकेबिहारी के साथ रंगों की बौछार में सराबोर हो गए। मंदिर में अबीर, गुलाल, केसर और रजत पिचकारी से होली खेली गई, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय और आनंदमय हो गया।
मथुरा-वृंदावन में सुबह से ही रंग बरसना शुरू हो गए हैं। विभिन्न मंदिरों पर भक्तों की भीड़ उमड़ रही है, तो वहीं प्रेम मंदिर के बाहर भक्तों का सैलाब है। हवा में उड़ता गुलाल अपने आराध्य के सामने होली खेलने वालों की भीड़ लगी हुई है।
फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर श्री दाऊजी महाराज मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त उमड़े। श्रद्धालुओं ने दाऊजी महाराज को गुलाल अर्पित कर मनौती मांगी। हर ओर दाऊजी महाराज व रेवती मैया की जय-जयकार होती रहीं। शाम को विभिन्न झंडों के साथ चौपाई गाते हुए लोगों ने विभिन्न वाद्य यंत्रों पर गाते नाचते होलिका पूजन किया।
ब्रज में होली निराली है। होली की इस परंपरा का उल्लेख अंग्रेज कलेक्टर एफएस ग्राउस ने अपनी पुस्तक 'डिस्ट्रिक मेमोयर' में भी जिक्र किया है। उस दौरान होलिका के रूप में गोबर के कंडे (उपले, गूलरी की माला) आदि रखे जाते थे। वहीं मांट के गांव जाबरा में जेठ और भाभी की होली होती है। यहां राधाजी ने अपने जेठ बलराम संग होली खेली थी। मान्यता है कि फाल्गुन माह के उल्लास और श्रीकृष्ण के अग्रज ब्रज के बलरामजी ने जेठ होकर राधारानी से भाभी और देवर के समान होली खेलने की अभिलाषा व्यक्त की। राधाजी यह बात सुन कर विचलित हुईं और श्रीकृष्ण से कहा तो वे मुस्कराकर बोले कि त्रेता युग में बलराम लक्ष्मण थे, आप सीता के साथ रूप में उनकी भाभी थीं। उसी नाते से भाभी कह दिया होगा।
मथुरा के कोसीकलां के गांव जाव में बृहस्पतिवार को होलिका की धधकती आग से होकर पहली बार सर्वानंद दास निकला। प्राथमिक विद्यालय के पास होली मैदान में होलिका रखी गई। इस दौरान दिन में महिलाओं ने होलिका का पूजन किया। शाम को ग्रामीणों ने ढप, झांझ, मजीरों के साथ रसिया और धमारों गायन किया। साधना में लीन सर्वानंद दास ने अग्नि पूजन किया और शाम करीब 7.20 बजे किशोरी कुंड में स्नान कर होलिका की धधकती आग से निकल गया। जैसे ही आग की लपटों से सर्वानंद दास निकला तो दूसरी ओर खड़े ग्रामीणों ने साधु को गले लगा लिया। पूरा मेला स्थल भक्त प्रह्लाद के जयघोषों से गुंजायमान हो उठा। ग्रामीण सुरेश उपमन्यु ने बताया अब तक साधु गुट्टा 10 बार धधकते अंगारों के बीच से गुजरे थे, लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते उनकी स्थान पर अबकी बार सर्वानंद दास ने रस्म निभाई। राजेश सिंह, धनीराम शर्मा, पप्पू, डॉ. जीता, जवाहर, रतनलाल, हर्ष, खचेरा प्रधान, गुलाब सिंह, हरदेव, बिजेंद्र सिंह आदि थे।
वृंदावन में ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में बृहस्पतिवार को होली की धूम मची रही। रंगीली होली के समापन के दिन भक्त अपने आराध्य श्रीबांकेबिहारी के साथ रंगों की बौछार में सराबोर हो गए। मंदिर में अबीर, गुलाल, केसर और रजत पिचकारी से होली खेली गई, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय और आनंदमय हो गया। देशभर से हजारों श्रद्धालु इस अनोखी होली का हिस्सा बनने के लिए मंदिर पहुंचे। सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। जैसे ही मंदिर के पट खुले बांकेबिहारी जी के दर्शन के लिए श्रद्धालु उमड़ पड़े। मंदिर के सेवायत गोस्वामी ने श्रद्धालुओं पर गुलाल और रंग बरसाया, जिससे हर कोई भक्ति और प्रेम के रंग में डूब गया। सेवायत ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने बताया कि यहां की होली भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव है। बांकेबिहारी जी स्वयं भक्तों के संग होली खेलते हैं और यही वजह है कि लोग दूर-दूर से यहां खिंचे चले आते हैं। इसके अलावा प्रेम मंदिर, राधावल्लभ मंदिर में भी श्रद्धालुओं का सैलाब देखने को मिला।
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