विषय को निर्मल और उपयोगी बनाने में सहायक होते हैं शोध - प्रोफेसर डी. के. त्रिपाठी
राणा प्रताप कालेज सुलतानपुर में हुई शोध प्रविधि पर कार्यशाला
सुलतानपुर (आरएनआई) विषय को नित नवीन बनाने के लिए शोध आवश्यक है। विषय को निर्मल और उपयोगी बनाने में शोध सहायक होते हैं। शोध की सम्भावना हर क्षेत्र में है । किसी कृति को पढ़ समझ कर जो मौलिक भाव हमारे मन में उमड़ते हैं उसी को व्यवस्थित रूप देना ही शोध है। नई शिक्षा नीति का एक उद्देश्य युवाशक्ति को शोध से जोड़ना भी है । जब देश का युवा ज्ञान सृजन में लगेगा तो देश विश्वगुरु बनेगा ।'
यह बातें राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर दिनेश कुमार त्रिपाठी ने कहीं। वह महाविद्यालय के संगोष्ठी कक्ष में हिन्दी विभाग द्वारा शोध प्रविधि पर आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
विशिष्ट अतिथि उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ महमूद आलम ने कहा कि शोध सच्चाई की तलाश है । किसी विषय पर नये सिरे से काम कर उसे अलग तरह से पेश करना ही शोध है। साहित्यिक शोध उलझनों को सुलझाने में मदद करते हैं।
अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि विषय के अनुसार शोध की प्रकृति और प्रविधि बदलती है। शोध लेखन मौलिक होने के साथ ही आकर्षक और प्रभावशाली होना चाहिए । उन्होंने विद्यार्थियों को शोध क्या क्यों और कैसे विषय पर विस्तृत जानकारी दी।
कार्यशाला का संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह रवि ने किया। इस अवसर पर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रंजना पटेल, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विभा सिंह व डॉ.ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में हिन्दी विषय के शोध व परास्नातक कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
Follow the RNI News channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2Xp81Z
What's Your Reaction?