विश्व स्तनपान सप्ताह" के संदर्भ में कार्यशाला का आयोजन
उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ। (आरएनआई) तथा जनपद न्यायाधीश, मथुरा श्री आशीष गर्ग के निर्देशानुसार विश्व स्तनपान सप्ताह के संदर्भ में आज को मुख्य चिकित्साधिकारी मथुरा कार्यालय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्रीमती नीरू शर्मा, मुख्य चिकित्साधिकारी डा० अजय कुमार वर्मा, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा० अशोक कुमार, डा० विकास जैन, डा० रोहताश, डा० भूदेव, डा० पारुल, डा० अजीत, डा० अर्चना राय, डा० ममता पाल, डा० आरके सिंह, डा० हिमांशू, पराविधिक स्वयंसेविका श्रीमती गीता यादव सहित आशा बहुयें, आंगनवाडी कार्यकत्रियां प्रशिक्षु आदि उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 अशोक कुमार द्वारा विश्व स्तनपान सप्ताह का महत्व बताते हुए कहा कि वर्ष 1991 से स्तनपान के महत्व का प्रचार-प्रसार करने के लिए वर्ल्ड अलायंस फॉर ब्रेस्टफीडिंग एक्शन का संगठन हुआ था। इसके एक साल बाद से ही विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाने लगा।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा० विकाश जैन द्वारा बताया गया कि विश्व स्तनपान सप्ताह मनाने का महत्व स्पष्टतौर पर बच्चे को जन्म के बाद स्तनपान कराने की आवश्यकता को उजागर करना है। माँ का दूध बच्चे का पहला आहार होता है और यह बच्चे को कई बीमारियों से सुरक्षित रखता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार जिन बच्चों को स्तनपान करवाया जाता है वे बुद्धिमत्ता के टेस्ट में बेहतर प्रदर्शन दिखाते हैं। उनमें डायबिटीज और मोटापे की संभावना कम होती है। वहीं जो मांए बच्चे को स्तनपान करवाती है उनमें ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर का खतरा कम देखा गया है। बच्चे के जन्म के एक घंटे बाद ही उसे स्तनपान करवाना शुरू कर देना चाहिए और शिशु को अगले छः महीनों तक माँ का दूध अच्छे से पिलाना चाहिए।
डा० ममता पाल द्वारा बताया गया कि माताओं और शिशुओं के लिए स्तनपान के फायदों के बारे में जागरूक करने और उन सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं को चुनौती देने का समय है जो महिलाओं को स्तनपान कराने से रोक सकते हैं। इस अभियान का उद्देश्य स्तनपान कराने वाली माताओं की सहायता और संसाधन
प्रदान करना भी है।
मुख्य चिकित्साधिकारी मथुरा डा0 अजय कुमार वर्मा द्वारा बताया गया कि स्तनपान के माँ और बच्चे दोनों पर ही लंबे समय तक फायदें देखने को मिलते हैं। यह उस बच्चे को विकास और पोषण देने का प्रकृति का तरीका है। माँ के दूध में सभी जरूरी पोषक तत्व, एंटीबॉडीज और एंजाइम्स होते है जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाते हैं और उसे इन्फेक्शस और बीमारियों से दूर रखते हैं।
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, मथुरा श्रीमती नीरु शर्मा द्वारा बताया गया कि विश्व स्तनपान सप्ताह स्तनपान को बढ़ावा देने और शिशुओं, माताओं के स्वास्थ्य के लिए स्तनपान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 01 से 07 अगस्त तक मनाया जाता है। स्तनपान को बढ़ावा देना इसलिए चुना गया क्योंकि कामकाजी महिलाओं द्वारा कभी स्तनपान न कराने, कम समय तक स्तनपान करवाने या स्तनपान बंद करने जैसी समस्याएं आम कारण बनी हुई है। कामकाजी महिलाओं को स्तनपान कराने के लिए ज्यादा समय और मदद की जरूरत होती है और काम के क्षेत्र में यह कई तरह के बदलाव लाता है। नवजात शिशु के स्वस्थ्य विकास और विकास के लिए स्तनपान अत्यंत महत्वपूर्ण है। माँ का दूध नवजात शिशुओं के लिए सर्वश्रेष्ठ आहार होता है। इसमें एंटीबॉडीज होते हैं जो कई प्रसिद्ध पेडियेट्रिक रोगों को रोकने में मदद करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्तनपान बाल स्वास्थ्य और जीवन बचाने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है।
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