विनाशकारी आपदा से नहीं उभर पा रहे पुलिस अधिकारी, कहा- आंखों के सामने कीचड़ के साथ बह गए लोग
केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है।
वायनाड (आरएनआई) केरल के वायनाड जिले में 30 जुलाई को मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों घायल हैं। भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों चूरलमाला और मुंडक्कई में सेना का राहत व बचाव कार्य जारी है। इस भयावह आपदा की यादें अभी भी मेप्पाडी के एक पुलिस अधिकारी को परेशान कर रही हैं। उन्होंने बताया कि किस तरह वह असहाय थे, जब उनके सामने लोग कीचड़ में बह गए थे।
मेप्पाडी पुलिस स्टेशन के एक सिविल पुलिस अधिकारी जिब्लू रहमान ने चूरलमाला क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा के बीच जीवन बचाने की अपनी बेताब कोशिश को याद किया। उन्होंने सबसे पहले आए भूस्खलन के बाद ओडिशा के दो पर्यटकों को मलबे से बचाया।
उन्होंने बताया कि जब वह मौके पर पहुंचे तो बचे हुए लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे। इनमें से एक शख्स के हाथ-पैर टूटे हुए थे, जबकि दूसरे के कपड़े फट गए थे और चोट के निशान थे। उन्हीं लोगों ने बताया कि नदी के ऊपर दो और लोग फंसे हुए हैं।
विनाशकारी आपदा के सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे अधिकारी ने कहा, 'सबसे पहले मैंने शख्स को अपनी टी-शर्ट और कोट पहनने के लिए दिया। उसके बाद वहां आए स्थानीय लोगों को उनकी जिम्मेदारी सौंप दी। उसके बाद मैं अन्य दो की तलाश करने के लिए ऊपर की ओर चला गया।'
उन्होंने बताया कि कोई और रास्ता नहीं होने की वजह से वह सुरक्षा के लिए ऊपर की ओर भाग गए। फिर, उन्होंने देखा कि पानी तेजी से नीचे जा रहा है, जो कीचड़, बोल्डर और पेड़ को साथ ले जा रहा है। वहीं मलबे के साथ लोग भी बह गए थे। यह देखकर वह दहशत में आ गए और कुछ नहीं कर पाने की वजह से असहाय महसूस कर रहे थे।
रहमान के वीरतापूर्ण बचाव कार्य से पहले, वन विभाग की रात्रि गश्ती टीम पहले से ही घटनास्थल पर मौजूद थी, जो हाथियों के आवासीय क्षेत्र में घुसने के बारे में स्थानीय लोगों के फोन पर वहां पहुंची थी।
मेप्पाडी के उप वन रेंज अधिकारी के प्रदीप ने बताया, 'रात्रि गश्ती टीम को स्थानीय लोगों से जानकारी मिली थी की आवासीय क्षेत्र में हाथी घुस आए हैं। जंगल में हाथियों का पीछा करने के लिए टीम वहां गई थी। वहां पहुंचने के बाद उन्होंने नदी में बढ़ते जलस्तर को देखा और लोगों को सतर्क रहने व सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा।'
उन्होंने कहा, 'जब हम वापस आ रहे थे तो हमने आवाज सुनी और पहला भूस्खलन हुआ। लोगों ने भागना शुरू कर दिया। हमने उन्हें सुरक्षित रास्ता खोजने में मदद की। अपनी टॉर्च और वाहन की रोशनी से रास्ता सुझाया। वन विभाग की टीम ने 45 से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला।'
उन्होंने आगे कहा कि जब हम लोगों को बचा रहे थे, तभी हमने दूसरी आवाज सुनी और महसूस किया की एक बड़ा भूस्खलन हुआ है।
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