विधानसभा में विधेयक पास होते ही सामने आईं राजनीति प्रतिक्रियाएं
मराठा आरक्षण विधेयक को आखिरकार महाराष्ट्र विधानसभा ने पारित कर दिया है। जिसके बाद से ही राजनीति के गलियारों से तमाम प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।
मुंबई (आरएनआई) मराठा आरक्षण विधेयक को आखिरकार महाराष्ट्र विधानसभा ने पारित कर दिया है। मंगलवार को सीएम एकनाथ शिंदे ने इसे सदन में पेश किया था। जिसको लेकर तमाम राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आईं हैं। गौरतलब है कि मराठा आरक्षण को लेकर सीएम एकनाथ शिंदे की सरकार ने महाराष्ट्र विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाया था।
सूबे के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास होने पर अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कानून और नियमों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा में बिल को पास किया गया। सदन में सर्वसम्मति से बिल पारित हो गया है।
राज्य विधानसभा में पारित मराठा आरक्षण बिल पर नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार ने कहा कि ये बिल जो विधानसभा में पास किया गया, ये केवल मराठा समुदाय के लोगों के वोटों के लिए किया गया है। हम इस तरह के राजनीतिक बिल के पूरी तरह खिलाफ हैं। सदन में पारित हुए इस बिल से मराठा समुदाय को कोई फायदा नहीं होगा। शिंदे सरकार ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इसे जल्दबाजी में पास कराया।
कुछ दिनों पहले कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने भी मराठा आरक्षण विधेयक पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आखिरकार ये बिल पास हो गया और यह खुशी की खबर है। सदन में इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया है। यह पूरी तरह से राहत का संकेत है। यह सीएम एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के प्रयासों से ही संभव हो सका है।
मराठा आरक्षण बिल के विधानसभा से पारित होने पर महाराष्ट्र के मंत्री शंभूराज देसाई ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इससे सभी मराठाओं को खासा लाभ होगा।शिक्षा और नौकरियों के लिए दस प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। मुख्यमंत्री शिंदे ने वादा किया था कि वो इसे लाएंगे और अब उन्होंने अपना वादा पूरा कर दिया है।
समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी और रईस शेख ने महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय को प्रस्तावित पांच प्रतिशत आरक्षण पर राज्य सरकार की अधिसूचना फाड़ दी। पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हम मराठा समुदाय को आरक्षण देने का स्वागत करते हैं। हाईकोर्ट ने मुस्लिमों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण को स्वीकार कर लिया था, राज्य सरकार द्वारा इस पर एक अधिसूचना लाई गई थी। लेकिन मुस्लिमों के लिए राज्य में पांच प्रतिशत आरक्षण अभी भी भी लागू नहीं किया गया है। शिंदे सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की इसे देने की मंशा है और न ही मुस्लिम समुदाय को आरक्षण देने पर चर्चा करने के इच्छुक हैं।
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