अदालत ने कहा- वाहनों पर रंगीन स्टिकर के आदेश को एनसीआर से बाहर लागू करने पर करेंगे विचार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए रंगीन स्टिकरों का इस्तेमाल जरूरी है। यह फैसला ग्रेप को लागू करने के दौरान डीजल वाहनों की पहचान में मदद करेगा।
नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वाहनों पर होलोग्राम-आधारित रंगीन स्टिकरों की आवश्यकता पर जोर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के अलावा अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने पर विचार कर रहा है।
शीर्ष कोर्ट ने 2018 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसमें यह प्रावधान था कि पेट्रोल और सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए हल्के नीले रंग के स्टिकर और डीजल वाहनों के लिए नारंगी रंग के स्टिकर लगाए जाएंगे। यह स्टिकर वाहनों में उपयोग किए जाने वाले ईंधन के आधार पर उसकी पहचान करने में मदद करते हैं और इसमें वाहनों की पंजीकरण की तारीख भी शामिल होती है।
कोर्ट ने कहा कि वाहनों के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए रंगीन स्टिकरों का इस्तेमाल जरूरी है। यह फैसला ग्रेप को लागू करने के दौरान डीजल वाहनों की पहचान में मदद करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह अपनी क्तियों का उपयोग करते हुए इस दिशा-निर्देश को एनसीआर के बाहर अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने पर विचार कर सकता है। इस मामले में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।
पिछले साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और अन्य एनसीआर राज्यों से होलोग्राम-आधारित रंगीन स्टिकरों के उपयोग को लेकर अनुपालन की जानकारी मांगी थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिसंबर 2023 में दिए गए आदेश का ठीक से पालन नहीं किया गया है। कोर्ट ने यह भी गौर किया कि दिल्ली में 27 लाख वाहनों में से करीब 17-18 लाख वाहनों पर ही रंगीन स्टिकर लगे हुए थे। यह मामला तब सामने आया है, जब सुप्रीम कोर्ट दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अगर किसी आरोपी को अदालत में पेश होने का आदेश (प्रोक्लेमेशन) दिया जाए और वह नहीं आता, तो यह एक अलग अपराध माना जाएगा। भले ही आदेश बाद में खत्म हो जाए, तब भी यह अपराध चलता रहेगा। कोर्ट ने दो जनवरी को यह फैसला सुनाया। यह मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जून 2023 के फैसले से जुड़ा था। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी आरोपी को दोषमुक्त कर दिया जाए, तब भी उसे अदालत में पेश न होने के लिए दोषी ठहाराया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 174ए के तहत यह एक अलग अपराध है, जो तब भी जारी रह सकता है, जब उससे जुड़ा आदेश खत्म हो जाए।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6X
What's Your Reaction?