वायनाड के पंचरीमट्टम के पास फिर से भूस्खलन
30 जुलाई की आपदा के बाद जीवित बचे लोग सदमे में हैं। इनमें से कई लोग अपने घर वापस नहीं जाना चाहते हैं।यह लोग अपने सिर पर एक वैकल्पिक छत, मुआवजा और जीवन जीने के साधन को लेकर परेशान हैं।
वायनाड (आरएनआई) केरल के वायनाड जिले में पिछले महीने मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। तीन गांव पंचरीमट्टम, चूरालमाला और मुंडक्कई सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस प्राकृतिक आपदा के कारण 300 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। अब बताया जा रहा कि पंचरीमट्टम के ठीक पास शनिवार को एक और भूस्खलन हुआ। वहीं, राज्य सरकार के अधिकारियों को डर सता रहा है कि भूस्खलन प्रभावित कुछ इलाकों की भौगोलिक स्थिति को हुए बड़े नुकसान के बाद उन्हें स्थायी रूप से नो हैबिटेशन जोन यानी गैर बसावट क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
जिला प्रशासन का कहना है कि उसने भूस्खलन हुए वाले इलाके में तलाशी अभियान और अन्य कार्यों में लगे लोगों को सावधानी बरतने की चेतावनी दी है।
30 जुलाई की आपदा के बाद जीवित बचे लोग सदमे में हैं। इनमें से कई लोग अपने घर वापस नहीं जाना चाहते हैं। यह लोग अपने सिर पर एक वैकल्पिक छत, मुआवजा और जीवन जीने के साधन को लेकर परेशान हैं।
मेप्पाडी पंचायत के तहत तीन गांव पंचरीमट्टम, चूरालमाला और मुंडक्कई सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां प्रभावित लोगों के जीवन को फिर से सामान्य करने के लिए काम कर रहे अधिकारियों ने बताया कि पहले दो गांवों (वार्ड संख्या 10, 11 और 12) के कुछ हिस्सों में फिर से इंसानों का रहना संभव नहीं हो सकेगा।
जमीन पर काम कर रहे एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने भी चिंता जताते हुए कहा कि गायत्री नदी के उफान और चौड़ी होने के कारण कुछ क्षेत्रों की भौगोलिक स्थिति स्थायी रूप से बदल गई है। इस नदी के उफान के चलते बड़े-बड़े पेड़, घर, स्कूल, मंदिर और अन्य सार्वजनिक ढांचे तहस-नहस हो गए।
कुछ स्थानीय लोगों ने भी प्रभावित इलाकों को लेकर ऐसी चिंता जाहिर कीं। 39 साल के राजेश, जो पंचरीमट्टम में अपने घर के पास में एक शेड में टेलर की दुकान चलाते थे, अपने घर की हालत देखकर हताश हैं, जिसे उनके वृक्षारोपण कार्यकर्ता माता-पिता ने सात साल पहले अपनी बचत से बनवाया था। उन्होंने कहा, 'मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मेरा घर पूरी तरह से कीचड़ से भर गया है। खिड़कियां, दरवाजे सब टूट गए हैं। उस रात मेरे घर के ठीक सामने के दो घर पानी में बह गए थे।
तबाह हुए घर में कुछ दस्तावेज खोजते हुए राजेश ने कहा, 'मुझमें अब यहां रहने की हिम्मत नहीं है। इस क्षेत्र के कई लोग जो सरकारी हॉस्टल या किराए के आवास में हैं, वे ऐसा ही सोचते हैं।' उन्होंने कहा कि हम सरकार से मदद की उम्मीद कर रहे हैं।
नृत्य शिक्षिका जिथिका प्रेम ने कहा कि उस रात का भूस्खलन किसी डरावनी फिल्म के दृश्य की तरह था। उस दिन को यादकर डर महसूस हो जाता है। घर के लोगों और पड़ोसियों के साथ जो हुआ, उसके बाद यहां नहीं रहना चाहती। उन्होंने आगे कहा, 'मुझे उम्मीद है कि मुझे वहां कभी वापस नहीं जाना पड़ेगा। मैं वहां नहीं रह सकती।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?