'वक्फ संशोधन के जरिए हिंदू-मुस्लिम करना चाहती है सरकार', शिवसेना यूबीटी सांसद का आरोप
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया, 'सरकार के इरादे अच्छे नहीं हैं। वे इस देश में एक नैरेटिव सेट करना चाहते हैं और वे लगातार ऐसा कर रहे हैं और लोगों को मूर्ख बना रहे हैं।

नई दिल्ली (आरएनआई) शिवसेना यूबीटी के सांसद अरविंद सावंत ने दावा किया है कि वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर केंद्र सरकार की नीयत ठीक नहीं हैं और वे इसके जरिए देश में हिंदू मुस्लिम नैरेटिव गढ़ना चाहते हैं। गौरतलब है कि शिवसेना यूबीटी सांसद अरविंद सावंत भी वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर गठित संयुक्त संसदीय समिति का हिस्सा थे। शिवसेना सांसद ने संयुक्त समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल पर विधेयक पर पर्याप्त चर्चा न कराने का आरोप लगाया। उन्होंने समिति के कामकाज को तानाशाही करार दिया। वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण को सही करना है, साथ ही उनके दुरुपयोग को रोकना है। यह विधेयक 10 मार्च से शुरू होने जा रहे संसद सत्र में पेश किया जा सकता है। विधेयक पर चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति में 31 सदस्य शामिल थे, जिनमें से 10 विपक्षी सांसद थे।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने दावा किया, 'सरकार के इरादे अच्छे नहीं हैं। वे इस देश में एक नैरेटिव सेट करना चाहते हैं और वे लगातार ऐसा कर रहे हैं और लोगों को मूर्ख बना रहे हैं। सरकार हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव सेट करने की कोशिश कर रही है और कह रही है कि वह हिंदुओं की रक्षा के लिए है। हिंदुओं के हितों की रक्षा करने का मतलब यह नहीं है कि दूसरे लोगों के प्रति नफरत पैदा की जाए।' केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19 फरवरी को संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दे दी थी। शिवसेना यूबीटी सांसद ने दावा किया कि पैनल ने विपक्ष द्वारा उठाए गए मुद्दों को कोई सम्मान नहीं दिया।
सावंत ने कहा कि जब वक्फ संशोधन विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा तो विपक्ष उसका एकजुट होकर विरोध करेगा। उन्होंने कहा कि 'सरकार समान नागरिक संहिता लाने की बात कर रही है, लेकिन सरकार वक्फ बोर्ड में दो गैर मुस्लिमों को शामिल करना चाहती है और कुछ अतिरिक्त अधिकारियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। अभी तक सिर्फ चुनाव के आधार पर मुस्लिम वर्ग के लोग ही वक्फ बोर्ड में शामिल हो सकते हैं। अब सरकार ने तय किया है कि चुनाव नहीं होंगे और सदस्यों को नामित किया जाएगा।' शिवसेना यूबीटी सांसद ने कहा कि 'ऐसी स्थिति में हिंदू मंदिरों का क्या होगा? अभी पंढरपुर और वाराणसी के मंदिरों में हिंदुओं के अलावा किसी अन्य को प्रबंधन समिति में जगह नहीं मिल सकती, लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग भी कह सकते हैं कि जो वक्फ विधेयक में है, वो हिंदू मंदिरों पर भी लागू होना चाहिए।'
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