वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; पीठ ने वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर सवाल उठाए, सरकार से मांगा स्पष्टीकरण
संसद के बजट सत्र में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित कराया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन चुका है। अहम कानूनी बदलावों को कई पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

नई दिल्ली (आरएनआई) सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने पक्षों से दो बिंदुओं पर विचार करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके सामने दो सवाल हैं, पहला- क्या उसे मामले की सुनवाई करनी चाहिए या इसे हाईकोर्ट को सौंप देना चाहिए और दूसरा- वकील किन बिंदुओं पर बहस करना चाहते हैं।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें शुरू करते हुए कहा कि संसदीय कानून के जरिए जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक आस्था के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है। अगर कोई वक्फ स्थापित करना चाहता है तो उसे यह दिखाना होगा कि वह पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा है। राज्य को यह कैसे तय करना चाहिए कि वह व्यक्ति मुसलमान है या नहीं? व्यक्ति का पर्सनल लॉ लागू होगा। सिब्बल ने दलील दी कि कलेक्टर वह अधिकारी होता है जो यह तय करता है कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं। अगर कोई विवाद है तो वह सरकार का हिस्सा होता है और इस तरह वह अपने मामले में न्यायाधीश होता है। यह अपने आप में असंवैधानिक है। इसमें यह भी कहा गया है कि जब तक अधिकारी ऐसा फैसला नहीं करता, तब तक संपत्ति वक्फ नहीं होगी। उन्होंने आगे कहा कि पहले केवल मुसलमान ही वक्फ परिषद और बोर्ड का हिस्सा होते थे, लेकिन संशोधन के बाद अब हिंदू भी इसका हिस्सा हो सकते हैं। यह संसदीय अधिनियम द्वारा मौलिक अधिकारों का सीधा हनन है।
कपिल सिब्बल ने जामा मस्जिद का मुद्दा भी उठाया। सीजेआई ने कहा कि जामा मस्जिद समेत सभी प्राचीन स्मारक संरक्षित रहेंगे। उन्होंनें कहा कि ऐसे कितने मामले हैं? इस बारे में कानून आपके पक्ष में है। सभी पुराने स्मारक, जामा मस्जिद भी संरक्षित ही रहेंगे।
इसके बाद सिब्बल ने कहा कि 20 करोड़ लोगों का अधिकार छीना जा रहा है। मान लीजिए कि मेरे पास कोई संपत्ति है। मैं इसे दान करना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि वहां अनाथालय बनाया जाए। इसमें क्या परेशानी है। मुझे रजिस्टर कराना क्यों जरूरी है? इस पर सीजेआई ने कहा कि वक्फ को पंजीकृत कराएंगे तो ये आपकी मदद करेगा। जस्टिस विश्वनाथन ने कहा कि जो अल्लाह का है, वो वक्फ है। कानून में झूठे दावों से बचने के लिए वक्फ डीड का प्रावधान है। इस पर सिब्बल ने कहा कि यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगी जाएगी तो यहां समस्या है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बाय यूजर के प्रावधान पर भी सवाल उठाए। सीजेआई खन्ना ने कहा कि 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं। उनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे पंजीकृत करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम यह जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ वक्फ ऐसे भी हैं, जिनकी वक्फ संपत्ति के तौर पर पहचान हुई। वक्फ बाय यूजर मान्य किया गया। अगर आप इसे रद्द कर देंगे तो समस्या होगी।
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