लैंड पुलिंग सिस्टम से पीथमपुर सेक्टर-7 में शामिल निजी जमीनों का अधिग्रहण शुरू
50 से ज्यादा किसानों ने दी सहमति, गाइडलाइन से दो गुनी दे रहे हैं 20 फीसदी नकद राशि, तो शेष 80 फीसदी के बदले देंगे विकसित भूखंड
इंदौर। पीथमपुर सेक्टर-7 में जो स्मार्ट इंडस्ट्रीयल टाउनशिप विकसित की जा रही है, उसमें पहले 15450 हेक्टेयर जमीन शामिल की गई थी, जिसमें से 2730 हेक्टेयर जमीन नगर पालिका के लिए छोड़ी गई और जमीनें एसईझेड सहित अन्य सेक्टरों में चली गई। वर्तमान में साढ़े 5 हजार हेक्टेयर जमीनों पर लैंड पुलिंग सिस्टम से अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है और 150 से अधिक किसानों ने इसमें अपनी सहमति भी दे दी है। निजी जमीनों के लिए 80-20 का फार्मूला तय किया गया है, जिसमें 20 फीसदी जमीन के बदले गाइडलाइन से दो गुना नकद मुआवजा राशि ली जाएगी और शेष 80 फीसदी जमीन के बदले विकसित भूखंड देंगे। अभी कई किसानों ने सहमति देते हुए एमपीआईडीसी के पक्ष में रजिस्ट्रियां भी करवा दीं, उन्हें 20 फीसदी जमीन के बदले नकद मुआवजा देने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
इंदौर सहित पीथमपुर और आसपास के क्षेत्रों में जहां तेजी से औद्योगिक निवेश आ रहा है, वहीं जो सेक्टर-7 प्रस्तावित है, उसमें भी साढ़े 13 हजार करोड़ से अधिक के निवेश प्रस्ताव एमपीआईडीसी को मिल चुके हैं। इंदौर और पीथमपुर के 44 गांवों की जमीनें स्मार्ट इंडस्ट्रीयल टाउनशिप में शामिल की गई हैं। हालांकि शुरुआत में योजना लगभग साढ़े 15 हजार हेक्टेयर पर विकसित की गई थी। अब जो जमीन मौके पर खाली है, उनकी प्लानिंग की जा रही है। एमपीआईडीसी के क्षेत्रीय अधिकारी प्रतुल्लचंद सिन्हा के मुताबिक इस टाउनशिप में रेसिडेंशियल एरिया के साथ-साथ फायर ब्रिगेड ऑफिस, बस स्टॉप, बैंक सहित अन्य सुविधाएं मौजूद रहेंगी। 500 से अधिक किसानों की निजी जमीनें इसमें शामिल है। लिहाजा उनसे सहमति की प्रक्रिया निरंतर चल रही है और 150 से अधिक किसानों की सहमति मिल भी चुकी है।
यह भी उल्लेखनीय है कि शासन ने पिछले दिनों पीथमपुर के मास्टर प्लान को भी घोषित कर दिया है, वहीं इंदौर-पीथमपुर इंडस्ट्रीयल कॉरिडोर को भी अमल में लाया जा रहा है, तो मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क के साथ अन्य औद्योगिक गतिविधियों के लिए जमीनों को विकसित किया जा रहा है। लैंड पुलिंग सिस्टम निजी जमीनों को अधिग्रहित करने के लिए अपनाया जा रहा है और अभी जो किसान सहमति के साथ रजिस्ट्रियां करवा रहे हैं, उन्हें 20 फीसदी मुआवजे की राशि नकद दी जा रही है और यह राशि भी मौजूदा गाइडलाइन की दो गुनी है। शेष 80 फीसदी जमीन के बदले इंडस्ट्रीयल टाउनशिप में ही विकसित भूखंड उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसके लिए बकायदा औद्योगिक मास्टर प्लान तैयार किया गया है।
इस पूरी योजना में इंदौर-पीथमपुर के 44 गांवों को शामिल किया गया है, जहां पर 2 से लेकर 40 हेक्टेयर तक के विशाल आकार के भूखंडों के साथ-साथ छोटे भूखंडों का भी प्रावधान किया गया है, वहीं इंदौर जिले के 18 गांव भी शामिल हैं, जिनमें बीजेपुर बेटमाखास, बेटमाखुर्द, सलमपुर, रणमल बिल्लौद, काली बिल्लौद, अम्बापुरा, किशनपुरा, बजरंगपुरा, भंवरगढ़, तारपुरा सहित अन्य गांव शामिल हैं।
वर्तमान में पीथमपुर के जो पुराने औद्योगिक क्षेत्र हैं उन्हें भी लगातार एमपीआईडीसी द्वारा अपग्रेड किया जाता रहा है और एसईझेड यानी सेज का तो हुलिया ही बदल गया है, जहां विशाल चौड़ी चमचमाती सडक़ों के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर भी अत्याधुनिक दिया गया है। यहां सौर ऊर्जा का भी भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा।
एक तरफ निजी जमीनों का अधिग्रहण लैंड पुलिंग के तहत किया जा रहा है, वहीं उसी तर्ज पर टाउनशिप में शामिल निजी जमीनों का आवंटन प्रशासन से मांगा गया है। अभी टप्पा बेटमा तहसील देपालपुर के नायब तहसीलदार न्यायालय ने माचल, बेटमाखुर्द, काली बिल्लौद, सलमपुर में मौजूद सरकारी जमीनों का प्रशासन से आवंटन मांगा है, जिसकी प्रक्रिया शुरू की गई।
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