लू के दिनों में चार गुना इजाफा, 23 राज्यों पर भीषण गर्मी का कहर
साल 2022 में शुरुआती लू की आशंका 30 गुना अधिक थी। यह साल पांचवां सबसे गर्म रहा, जबकि 2023 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। 2015 से 2024 के बीच देश में अत्यधिक गर्मी प्रभावित राज्यों की संख्या 17 से बढ़कर 23 पहुंच गई है।
नई दिल्ली (आरएनआई) धरती के बढ़ते ताप की वजह से देश में बीते 10 साल में लू प्रभावित राज्यों की संख्या में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है और इनकी संख्या 23 हो गई है, जबकि गर्म लहरों के दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर औसतन चार गुना की बढ़ोतरी हुई है। यह जानकारी भारतीय मौसम विभाग, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की संयुक्त रिपोर्ट में सामने आई है।
साल 2022 में शुरुआती लू की आशंका 30 गुना अधिक थी। यह साल पांचवां सबसे गर्म रहा, जबकि 2023 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है। 2015 से 2024 के बीच देश में अत्यधिक गर्मी प्रभावित राज्यों की संख्या 17 से बढ़कर 23 पहुंच गई है। राज्यों की इस सूची में अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड का नाम शामिल हुआ है, जहां मैदानी राज्यों की तरह भीषण गर्मी और गर्म हवाओं के चलते जनजीवन काफी प्रभावित हो रहा है।
रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि गर्मी का यह ट्रेंड जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को साबित करता है। 2014 से पहले तमिलनाडु और केरल जैसे तटीय और हिमाचल व अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में गर्म लहरें यानी लू का असर नहीं था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में खासतौर पर कोरोना महामारी के बाद 2021 से 2023 के बीच काफी तेजी से मौसम में बदलाव आया है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने हाल ही में बताया कि 2023 में 329 दिन लू का असर रहा जो 2022 में 203 दिन था। वहीं, 2014 से 2023 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर औसतन लू प्रभावित दिनों की संख्या 7.4 से बढ़कर 32.2 दिन तक पहुंच गई है।
एनसीडीसी ने बताया कि 16 साल पहले 2008 में देश में केवल नौ राज्यों में अत्यधिक गर्मी और लू का असर था, जहां हर साल मार्च से जुलाई के बीच सरकारों का ध्यान रहता था। ओडिशा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात के अलावा मध्य प्रदेश का उत्तर पश्चिम क्षेत्र और महाराष्ट्र का विदर्भ इसकी चपेट में थे। पिछले कुछ सालों में देश में गर्मी बढ़ने की प्रवृत्ति दर्ज की जा रही है, जिसका कई जिले और शहरों पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
उत्तर भारत में अत्यधिक गर्मी का सबसे तेज असर पंजाब और हरियाणा राज्य में देखने को मिल रहा है। हिमालय क्षेत्र से नजदीक होने के बाद भी इन दोनों राज्यों में बीते वर्षों की तुलना में गर्म लहरों के दिनों में करीब 12 गुना की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि साल 2021 में इन दोनों ही राज्य में केवल दो-दो गर्म हवाएं चलीं, लेकिन अब यह आंकड़ा 24 पार चला गया है।
अब तक के मौसम रिकॉर्ड में साल 2023 सबसे गर्म साल रहा और इस पूरे वर्ष में 19,402 हजार लोग अस्पतालों में भर्ती हुए। हालांकि, इन्हें संदिग्ध मामलों में माना गया, क्योंकि हीट स्ट्रोक का संबंध सीधे तौर पर स्थापित नहीं हुआ, लेकिन इनमें से 189 लोगों की मौत हुई है, जिन्हें हीट स्ट्रोक जिम्मेदार माना है।
प्रचंड गर्मी के चलते राजस्थान में पारा रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। फलौदी में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 49 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं, गर्मी की वजह से प्रदेश में और छह लोगों की मौत हो गई।
दिल्ली के साथ ही राजस्थान के कई हिस्सों में रात में न्यूनतम तापमान 30 डिग्री से ऊपर है और लू जैसी स्थिति बनी हुई है। दिल्ली में सुबह के समय न्यूनतम तापमान 30.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सामान्य से चार डिग्री अधिक है। बृहस्पतिवार की रात राजस्थान के फलोदी में 36.8, कोटा में 33 और जयपुर में 32.1 डिग्री तापमान रहा।
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और गुजरात के कई हिस्सों में लू चल रही है। अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। मौसम विभाग ने लोगों से बहुत जरूरी होने पर ही घरों से बाहर निकलने की सलाह दी है। इस साल गर्मी से पहाड़ों का हाल भी बेहाल है। कश्मीर में बृहस्पतिवार को 32.2 डिग्री तापमान दर्ज किया गया, जो 13 साल में मई के महीने में सबसे अधिक तापमान है। 20 मई, 2011 को श्रीनगर का अधिकतम तापमान 32.3 रिकॉर्ड किया गया था।
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