लालू यादव ने खोला राज, बोले- सवर्णों की संपन्नता देख मोदी सरकार नहीं करा रही जाति गणना
लालू प्रसाद ने कहा कि देश में एससी-एसटी और ओबीसी की आबादी लगभग 85 प्रतिशत है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती क्योंकि इससे हर क्षेत्र में कुंडली मारे बैठे संपन्न लोगों का प्रभुत्व उजागर हो जाएगा।
पटना (आरएनआई) राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने केंद्र सरकार पर फिर से निशाना साधा है। उन्होंने विश्व असमानता लैब की ओर साझा आंकड़ों के जरिए मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की। लालू प्रसाद ने रविवार दोपहर सोशल मीडिया पर लिखा कि सवर्णों की संपन्नता देख मोदी सरकार जाति गणना नहीं करवाना चाहती है। विश्व असमानता लैब की रिसर्च में पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के लिए डरावने आंकड़े सामने आए है। यह रिसर्च देश में बढ़ती सामाजिक-आर्थिक गैरबराबरी को उजागर करती है। देश की कुल संपत्ति का बड़ा हिस्सा लगभग 89 प्रतिशत हिस्सा, आबादी में सबसे कम वाले वर्गों के पास है तथा देश की सबसे अधिक आबादी वाले 85 प्रतिशत एससी-एसटी और ओबीसी के पास बाक़ी बचा हिस्सा है। इससे पता चलता है कि हमारे देश में सामाजिक-आर्थिक असमानता की जड़ें कितनी गहरी हैं। मोदी सरकार लगातार 10 वर्षों से एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के छोटे व्यवसायों को भी टारगेट कर खत्म कर रही है।
राजद सुप्रीमो ने कहा कि इस रिपोर्ट के अनुसार उच्च जातियों के पास देश की कुल संपत्ति का 88.4 प्रतिशत हिस्सा है जबकि ओबीसी के पास केवल 9.0 प्रतिशत और अनुसूचित जाति और जनजाति के पास मात्र 2.6 प्रतिशत है। 2013 में OBC का देश की संपत्ति में 17.3 प्रतिशत हिस्सा था जो 2022 में घटकर 9 प्रतिशत ही रह गया है। छोटे और मध्यम आकार के व्यवसाय लगातार घटते जा रहे हैं। कृषि घाटे का सौदा होता जा रहा है। किसान सरकार की गलत नीतियों के चलते बर्बाद हो रहे हैं।
लालू प्रसाद ने कहा कि देश में एससी-एसटी और ओबीसी की आबादी लगभग 85 प्रतिशत है। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहती क्योंकि इससे हर क्षेत्र में कुंडली मारे बैठे संपन्न लोगों का प्रभुत्व उजागर हो जाएगा। जब तक एससी-एसटी, ओबीसी और उच्च जाति के गरीब लोग भारतीय जनता पार्टी की भक्ति, धर्मांधता और नफ़रत बोने वाले दंगाइयों को अपना नेता मानेंगे, तो ये आंकड़े और भी बद्तर होते जाएंगे। विगत 10 वर्षों में इन्होंने आपको यानी एससी-एसटी और ओबीसी को धर्म और छद्म राष्ट्र के बनावटी मुद्दों व बहसों में उलझा कर अपनी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सत्ता को ओर अधिक सुदृढ़ एवं सुनिश्चित किया है। यह लोग धूर्तता के साथ एससी-एसटी और ओबीसी को सांकेतिक और दिखावटी प्रतिनिधित्व देकर इतिश्री कर देते है ताकि देश की ये बहुसंख्यक आबादी अपने अधिकारों की वाजिब मांग ना कर सके।
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