लालू यादव की बेटी का सीएम नीतीश कुमार पर हमला
क्या जीतनराम मांझी का पूर्वानुमान सही होने वाला है? संकेत दिख रहे थे, लेकिन अब लक्षण सामने है। जब से नीतीश कुमार महागठबंधन सरकार के सीएम बने, लालू परिवार उनपर हमला नहीं कर रहा था।
पटना (आरएनआई) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने परिवारवाद पर प्रहार किया। कर्पूरी ठाकुर की जन्मशती पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि अपने परिवार को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाने के पीछे की वजह उनका बताया रास्ता है। नीतीश कुमार की इस बात का जवाब विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने नहीं दिया। जवाब आज आया है। सत्ता में उनके साथी लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल है। और, जवाब कहीं बाहर से नहीं बल्कि लालू की बेटी रोहिणी आचार्या ने दिया है। बहुत कड़क जवाब दिया है। सोशल मीडिया पर दिया है। यह उथलपुथल का लक्षण है। वैसे, गुरुवार को मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रेस ब्रीफिंग को अचानक रोकने और विज्ञप्ति तक अटकाए जाने से भी अटकलों में तेजी आयी है। कैबिनेट बैठक भी महज 15 मिनट चली और सीएम भी तेजस्वी से बिना बात किए बढ़ गए।
23 जनवरी को जब जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का एलान हुआ तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके लिए केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने मीडिया को जारी संदेश में कहा कि जदयू की पुरानी मांग पूरी करने के लिए पीएम मोदी को हृदय से आभार। अगले दिन राजद, जदयू और भाजपा ने पटना में कर्पूरी जन्मशती पर अलग-अलग कार्यक्रम किया था। जदयू के कार्यक्रम के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने परिवारवाद पर हमला बोला। कहा कि कर्पूरी ठाकुर इसके खिलाफ थे। उन्होंने उदाहरण सहित इसकी व्याख्या की। इस दौरान मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने पीएम पर हमेशा की तरह हमला नहीं किया। उधर, राजद के कार्यक्रम में तेजस्वी यादव ने कहा कि नौकरी देने वाली महागठबंधन सरकार ने जातीय जनगणना कराई तो मजबूरी में केंद्र सरकार को भारत रत्न के लिए घोषणा करनी पड़ी।
उसपर राजद की ओर से प्रतिक्रिया नहीं आयी। भाजपा ने नरम प्रतिक्रिया जताई कि अगर परिवारवाद से दिक्कत है तो ऐसे लोगों के साथ क्यों हैं? अब असल हमला लालू यादव को किडनी दान करने के लिए चर्चित रहीं उनकी एनआरआई बेटी रोहिणी आचार्या ने किया है। रोहिणी ने गुरुवार सुबह सबसे पहले लिखा- "अक्सर कुछ लोग नहीं देख पाते हैं अपनी कमियां, लेकिन किसी दूसरे पे कीचड़ उछालने को करते हैं बदतमीजियां..."। इस वाक्यांश में कहीं भी नीतीश कुमार का नाम नहीं है, लेकिन मूलत: हमला सीएम पर ही किया गया। और स्पष्टता के लिए रोहिणी ने कुछ ही देर बाद अगली लाइन लिखी- "खीज जताए क्या होगा, जब हुआ न कोई अपना योग्य। विधि का विधान कौन टाले, जब खुद की नीयत में ही हो खोट।" रोहिणी की इन पंक्तियों ने साफ कर दिया कि उनका हमला नीतीश कुमार पर ही है। जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ जनादेश लेकर उसके सीएम थे तो राजद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे को लेकर इस तरह की टिप्पणी की थी। जब वह महागठबंधन के सीएम बने तो ऐसी टिप्पणियां रुक गई थीं। रोहिणी यहीं नहीं रुकीं। उन्होंने फिर लिखा- "समाजवादी पुरोधा होने का करता वही दावा है, हवाओं की तरह बदलती जिनकी विचारधारा है"। यह लाइनें भी नीतीश कुमार को लेकर हैं, क्योंकि उन्होंने एक बार राजद के साथ जनादेश लेकर भाजपा का दामन थामा था और फिर भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए वोट लेकर राजद के साथ मुख्यमंत्री बने हुए हैं।
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