लगातार पेपर हो रहे लीक, निजी हाथों में छपाई से उठे सवाल
सिपाही भर्ती के बाद आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा का पेपर लीक होने से निजी प्रिंटिस प्रेस की गोपनीयता पर सवाल उठने लगे हैं। राजकीय मुद्रणालय के अधिकारियों को माने तो 15 साल पहले तक यूपीपीएससी की सारी परीक्षाएं के पर्चे राजकीय मुद्रणालय में छपते थे। तब कभी भी इस तरह की शिकायत नहीं आती थी।
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प्रयागराज (आरएनआई) अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं के पेपर आउट होने के बाद निजी संस्थाओं को छपाई का काम दिए जाने को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। खास यह कि इसी तरह के एक मामले के बाद 2018 में राजकीय मुद्रणालय में पेपर छपवाने तथा सिक्योरिटी प्रेस की स्थापना का प्रस्ताव लाया गया था लेकिन, छह साल बाद भी इस पर अमल नहीं हो सका। इससे भर्ती संस्थाओं के अफसरों की भूमिका को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं।
पुलिस भर्ती का पेपर अहमदाबाद से आउट हुआ है। इसी तरह से पूर्व में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की एक भर्ती का प्रश्न पत्र कोलकाता स्थित प्रेस से लीक होने की बात सामने आई थी। इसके बाद ही तत्कालीन उद्योग मंत्री सतीश महाना ने भर्ती परीक्षाओं के सभी पेपर राजकीय मुद्रणालय से छपवाने और सिक्योरिटी प्रेस की स्थापन का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा था। कैबिनेट ने इसे मंजूरी भी दे दी थी। इसके बाद प्रयागराज के अलावा लखनऊ स्थित राजकीय मुद्रणालय परिसर का निरीक्षण किया गया था। साथ ही सिक्योरिटी प्रेस के लिए बजट भी स्वीकृत हो गया लेकिन इसके बाद कोराना काल का दौर शुरू हो गया और सबकुछ ठप हो गया।
अब पुलिस भर्ती तथा आरओ-एआरओ भर्ती परीक्षाओं के पेपर आउट के मामले के बाद राजकीय मुद्रणालय से प्रश्न पत्र छपवाने की मांग फिर शुरू हो गई है। राजकीय मुद्रणालय के एक वरिष्ठ अफसर का कहना है कि करीब 15 साल पहले तक लोक सेवा आयोग के पेपर भी मुद्रणालय में छपते थे। तब तक इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई थी।
प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी मिनिस्टीरियल एसोसिएशन के महामंत्री ध्रुव नारायण ने भी इसकी मांग की है। उनका कहना है कि जांच के बाद स्पष्ट हुआ है कि कई भर्ती परीक्षाओं के पेपर निजी प्रिंटिंग प्रेस से ही लीक हुए हैं। राजकीय मुद्रणालय से पेपर छपते तो ऐसा नहीं होता। ध्रुव का कहना है कि सिक्योरिटी प्रेस की स्थापना को लेकर संगठन की ओर से मुद्रणालय के निदेशक अभिषेक प्रकाश से कई बार वार्ता की गई लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पाई। अभिषेक प्रकाश का कहना है कि सिक्योरिटी प्रेस का प्रस्ताव है लेकिन उसके स्टेटस के बारे में अभी नहीं बताया जा सकता।
भर्ती परीक्षाओं के पेपर के अलावा सरकार की ओर से कई गोपनीय दस्तावेज भी निजी प्रेस में छपवाए जाते हैं। इससे इनकी गोपनीयता को लेकर सवाल बना रहता है। हालांकि मुद्रणालय के अफसरों का कहना है कि जल्द ही इस तरह की शिकायतों से राहत की उम्मीद है।
सब कुछ योजना की मुताबिक रहा तो लखनऊ में सिक्योरिटी प्रेस की स्थापना एक साल में हो जाएगी। मुद्रणालय के उपनिदेशक श्याम नारायण गुप्ता का कहना है कि जमीन चिह्नित करने के साथ पैसा भी मिल गया है। उनका कहना है कि प्रयागराज स्थित मु्द्रणालय परिसर में भी सिक्योरिटी प्रेस के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। इसके लिए फिर से प्रयास किए जाएंगे।
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