रोटा वायरस से बच्चों की जान बचाने में कामयाब रहा भारत
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने रोटा वायरस पर भारतीय प्रयासों की तारीफ की है। उनका कहना है, भारत ने रोटा वायरस से बच्चों की जान बचाने में बड़ी सफलता पाई है।
नई दिल्ली (आरएनआई) रोटा वायरस के प्रकोप से बच्चों को बचाने में सफल रहे भारत ने लगभग आठ साल पहले टीकाकरण शुरू कर दिया था। बच्चों की जान बचाने और उन्हें तंदुरुस्त रखने की दृष्टि से चलाई गई मुहिम को मिली कामयाबी का अमेरिका भी मुरीद हो गया है। बता दें कि 2016 में भारत ने सबसे पहले राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में रोटा को शामिल करते हुए पांच साल तक के बच्चों का मुफ्त टीकाकरण किया। करीब सात वर्ष बाद अब इसका असर दिखाई दे रहा है।
बच्चों में रोटा वायरस की व्यापकता करीब 34% तक घटी है। इस आयु वर्ग के 38.3% बच्चों में मौत की आशंका को भी टाला गया है। इतना ही नहीं, रोटा वायरस संक्रमण के चलते कुल एंटीबायोटिक दुरुपयोग में भी 21.8% की कमी आई है, जो विश्व में सबसे अच्छे नतीजे हैं। वैक्सीन जर्नल में छपा यह शोध अमेरिकी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने हार्वर्ड विवि की पहल ‘वीओवीआरएन’ के तहत किया, जिसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण से मिले डाटा पर विश्लेषण किया गया।
शोधकर्ताओं ने कहा, भारत में रोटा वायरस बच्चों में गंभीर दस्त का प्रमुख कारण है। वैश्विक स्तर पर नाइजीरिया के बाद भारत सर्वाधिक प्रभावित है। 2016 में भारत सरकार ने रोटा वायरस के लिए टीकाकरण शुरू किया, जिसकी शुरुआत हरियाणा, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और हिमाचल प्रदेश से हुई, 2019 तक यह सभी राज्यों में लागू कर दिया गया। टीकाकरण से पहले भारत में रोटा वायरस डायरिया के अनुमानित 1.11 करोड़ मामले और 78 हजार मौत हर साल हो रही थीं जिनमें अब एक तिहाई तक सुधार आया है।
शोधकर्ताओं ने बताया, टीकाकरण की बदौलत हर साल एक हजार बच्चों पर रोटा वायरस के मामलों में 199 से 588 तक कमी आई है, जो क्रमश: बिहार व हिमाचल प्रदेश में है। संक्रमण से मरने वालों की संख्या में कमी देखें, तो प्रति 1,000 बच्चों पर 0.4 से 1.8 गुना तक है। सबसे कम बदलाव सिक्किम और सबसे ज्यादा सुधार मध्य प्रदेश में आया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत के पास सार्वभौमिक टीकाकरण, सबसे बड़ा हथियार है। इसके जरिये रोटा वायरस से लेकर कोरोना तक को काबू करने में सफलता मिली है। अभी अलग-अलग बीमारियों से बचाव के लिए कई टीकाकरण इसमें शामिल किए हैं।
Follow RNI News Channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029VaBPp7rK5cD6XB2
What's Your Reaction?