रेलवे और बैंक अधिकारियों के खिलाफ सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार की शिकायतें
रिपोर्ट को हाल ही में सार्वजनिक किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने 9,663 शिकायतों का निपटारा कर दिया है, जबकि 917 का निपटान लंबित रहा, जिनमें से नौ तीन महीने से अधिक समय तक लंबित रहा। बैंकों ने भ्रष्टाचार की 7,762 शिकायतों का निपटारा कर दिया था और 367 लंबित रहीं, जिनमें से 78 तीन महीने से अधिक समय तक लंबित रहीं।
नई दिल्ली। (आरएनआई) पिछले साल (2022) भ्रष्टाचार की सबसे अधिक शिकायतें केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) और इसके बाद रेलवे और बैंकों में काम करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आईं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022 में केंद्र सरकार के विभागों और संगठनों में सभी श्रेणियों के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कुल मिलाकर 1,15,203 ऐसी शिकायतें प्राप्त हुईं। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से 85,437 का निपटारा कर दिया गया और 29,766 लंबित थे, जिनमें से 22,034 मामले तीन महीने से ज्यादा समय से लंबित थे।
एक अधिकारी ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग ने शिकायतों की जांच करने के लिए मुख्य सतर्कता अधिकारियों के लिए तीन महीने की समय-सीमा निर्धारित की है। मुख्य सतर्कता अधिकारी शिकायतों की जांच करने के लिए ईमानदार प्रहरी की दूरस्थ शाखा के रूप में कार्य करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल गृह मंत्रालय को अपने कर्मचारियों के खिलाफ 46,643 शिकायतें मिलीं, जबकि रेलवे को 10,580 और बैंकों को 8,129 शिकायतें मिलीं। इसमें कहा गया है कि गृह मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ कुल शिकायतों में से 23,919 का निपटारा कर दिया गया और 22,724 लंबित थीं, जिनमें से 19,198 तीन महीने से अधिक समय तक लंबित थीं।
रिपोर्ट को हाल ही में सार्वजनिक किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे ने 9,663 शिकायतों का निपटारा कर दिया, जबकि 917 का निपटान लंबित रहा, जिनमें से नौ तीन महीने से अधिक समय तक लंबित रहा। बैंकों ने भ्रष्टाचार की 7,762 शिकायतों का निपटारा कर दिया था और 367 लंबित रहीं, जिनमें से 78 तीन महीने से अधिक समय तक लंबित रहीं। इसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कर्मचारियों के खिलाफ 7,370 शिकायतें थीं। इनमें से 6,804 का निपटारा कर दिया गया और 566 लंबित रहीं, जिनमें से 18 तीन महीने से अधिक समय तक लंबित रहीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 4,710 शिकायतें आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग सहित), दिल्ली विकास प्राधिकरण, दिल्ली मेट्रो रेल निगम, दिल्ली शहरी कला आयोग, हिंदुस्तान प्रीफैब लिमिटेड, आवास और शहरी विकास निगम लिमिटेड, एनबीसीसी और एनसीआर योजना बोर्ड के कर्मचारियों के खिलाफ थीं। इनमें से 3,889 का निपटारा कर दिया गया और 821 लंबित रहीं, जिनमें से 577 तीन महीने से अधिक समय तक लंबित रहीं।
सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 4,304 शिकायतें कोयला मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ थीं, जिनमें से 4,050 का निपटारा किया गया, 4,236 शिकायतें श्रम मंत्रालय के खिलाफ थीं, जिनमें से 4,016 का निपटारा किया गया और 2,617 शिकायतें पेट्रोलियम मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ थीं, जिनमें से 2,409 का निपटारा किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के कर्मचारियों के खिलाफ 2,150, रक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 1,619, दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ 1,308, वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ 1,202 और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के कर्मचारियों के खिलाफ 1,101 शिकायतें थीं।
सीवीसी रिपोर्ट में कहा गया है कि 987 शिकायतें बीमा कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ, 970 कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पेंशन मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ और 923 इस्पात मंत्रालय के कर्मचारियों के खिलाफ थीं।
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