रूसी सेना में भर्ती 69 भारतीयों का अभी भी इंतजार, लोकसभा में विदेश मंत्री ने दिया जवाब
विदेश मंत्री ने बताया कि 'हमें जल्दबाजी में ये नहीं कहना चाहिए कि रूस सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है। मुझे लगता है कि रूसी सरकार का अपने वचन पर कायम रहना महत्वपूर्ण है।'
नई दिल्ली (आरएनआई) भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि सरकार अभी भी रूसी सेना में भर्ती 69 भारतीयों की रिहाई का इंतजार कर रही है। जयशंकर ने बताया कि कई मामलों में ऐसे संकेत मिले हैं कि भारतीय नागरिकों को रूस की सेना में भर्ती होने के लिए गुमराह किया गया था। विदेश मंत्री ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि सीबीआई ने भारतीयों को विदेश भेजने के मामले में 19 आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है। इस मामले में मानव तस्करी के सबूत सामने आए हैं।
विदेश मंत्री ने बताया कि 'हमें जल्दबाजी में ये नहीं कहना चाहिए कि रूस सरकार इस मामले में गंभीर नहीं है। मुझे लगता है कि रूसी सरकार का अपने वचन पर कायम रहना महत्वपूर्ण है। हमें बहस में पड़ने की बजाय 69 लोगों को वापस भारत लाने पर फोकस करना चाहिए, क्योंकि भारतीय नागरिक विदेशी सेना में सेवाएं नहीं दे सकते।' इस मामले में दो आरोपियों को बीती 24 अप्रैल को और दो अन्य को 7 मई को गिरफ्तार किया गया था।
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने रूसी की सेना में भर्ती भारतीयों की वापसी को लेकर सवाल किया था। ओवैसी ने पूछा कि आरोपियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा रही है और क्या अगर भारतीयों की रूसी सेना से वापसी नहीं होती है तो क्या भारत इस मामले के विरोध में रूस से तेल खरीद बंद करने पर विचार कर रहा है? जिस पर प्रश्नकाल में विदेश मंत्री ने जवाब दिया। विदेश मंत्री ने कहा कि अभी तक 91 भारतीय रूसी सेना में भर्ती किए गए हैं। जिनमें से आठ की मौत हो चुकी है और 14 को छोड़ दिया गया है। अभी भी 69 भारतीय भारत वापसी का इंतजार कर रहे हैं।
जिन आठ लोगों की मौत हुई है, उनमें से चार के शव वापस भारत भेजे गए हैं। दो मामलों में रूस को डीएनए सैंपल भेजे गए हैं। जिनके डीएनए सैंपल भेजे गए हैं, वे हरियाणा और पंजाब के निवासी थे। गुजरात के रहने वाले एक व्यक्ति के परिजनों ने रूस में उसका अंतिम संस्कार करने की अपील की, वहीं उत्तर प्रदेश के एक शख्स के अवशेष वापस भारत भेजे जाएंगे। जयशंकर ने बताया कि रूस का दावा है कि उनकी सेना में भर्ती होने वाले युवाओं ने पहले कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि कई मामलों में यह संकेत मिले हैं कि हमारे नागरिकों को गुमराह किया गया था, उन्हें बताया गया था कि वे किसी अन्य नौकरी के लिए जा रहे हैं और फिर उन्हें रूसी सेना में तैनात कर दिया गया।' रूसी सेना में भर्ती किए गए भारतीय नागरिकों का मुद्दा पिछले महीने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपनी बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया था।
जयशंकर ने कहा, 'हम इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लेते हैं। मैंने खुद रूसी विदेश मंत्री के समक्ष कई बार इस मुद्दे को उठाया है। जब प्रधानमंत्री पिछले महीने मास्को में थे, तो उन्होंने राष्ट्रपति पुतिन के समक्ष व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे को उठाया था और उन्हें आश्वासन मिला था कि रूसी सेना में सेवारत भारतीय नागरिकों को बर्खास्त कर उन्हें रिहा कर दिया जाएगा।' जयशंकर ने साइबर तस्करी के मामलों के बारे में भी विस्तार से जवाब दिया, जिसमें लोगों को गुमराह करके दक्षिण पूर्व एशिया ले जाया जाता है और साइबर घोटाले और संबंधित मुद्दों पर काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। उन्होंने कहा कि 'हम इसे बहुत गंभीरता से लेते हैं और राजनीतिक स्तर पर सभी संबंधित सरकारों के साथ इस मुद्दे को उठाया है। अब तक कंबोडिया से 650, म्यांमार से 415 और लाओस से 548 भारतीय नागरिकों को वापस लाया जा चुका है।
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