रूस पर 24 साल शासन कर चुके पुतिन, फिर भी सबसे लंबे शासन में इन देशों के नेताओं से पीछे

सोवियत संघ के पतन से एक दशक पहले ही 81 वर्षीय तियोदोरो ओबियांग न्गुएमा सन् 1979 में पश्चिमी अफ्रीकी राज्य इक्वेटोरियल गिनी में तख्तापलट कर सत्ता में आए थे। वह 44 साल से सत्ता में हैं। ऐसे ही कई नेता हैं, जो लंबे समय से सत्ता में बने हुए हैं। 

Dec 9, 2023 - 09:37
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रूस पर 24 साल शासन कर चुके पुतिन, फिर भी सबसे लंबे शासन में इन देशों के नेताओं से पीछे

मॉस्को, (आरएनआई) रूस में अगले साल मार्च में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। ऐसे में व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।अगर वह चुनाव जीतते हैं तो 2030 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे। वह 1999 से सत्ता में बने हुए हैं। पुतिन, जोसेफ स्टालिन के बाद किसी अन्य रूसी शासक की तुलना में लंबे समय तक देश के राष्ट्रपति पद पर रहे हैं। वहीं, रूसी राष्ट्रपति दुनिया के 10 सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले निर्वाचित नेताओं में से एक हैं। आइए ऐसे 10 शीर्ष नेताओं के बारे में जानते हैं, जो लंबे समय से सत्ता में हैं। 

सोवियत संघ के पतन से एक दशक पहले ही 81 वर्षीय तियोदोरो ओबियांग न्गुएमा सन् 1979 में पश्चिमी अफ्रीकी राज्य इक्वेटोरियल गिनी में तख्तापलट कर सत्ता में आए थे। वह 44 साल से सत्ता में हैं। उनके दमनकारी शासन में इक्वेटोरियल गिनी को 'अफ्रीका के उत्तर कोरिया' के रूप में जाना जाता है।

कैमरून के राष्ट्रपति पॉल बिया फिलहाल 90 साल के हैं और वह नवंबर 1982 से पश्चिम अफ्रीकी देश पर शासन कर रहे हैं। कहा जाता है कि बिया के स्वभाव को समझना आसान नहीं है। इसी वजह से 41 साल से सत्ता में बने सबसे बुजुर्ग नेता को द स्फिंगक्स नाम से भी जाना जाता है। धोखाधड़ी के आरोपों से घिरे होने के बाद भी साल 2018 के चुनावों में लगातार सातवीं बार जीत हासिल की।

कांगो गणराज्य, जिसे कांगो-ब्रेजाविले के नाम से भी जाना जाता है। 80 वर्षीय डेनिस सासौ न्गेसो ने मध्य अफ्रीका में देश के शीर्ष पर 39 साल बिताए हैं। वह 1979 से 1992 तक राष्ट्रपति रहे, फिर गृह युद्ध के बाद 1997 में लौटे और तब से सत्ता में बने हुए हैं।

युगांडा के 79 वर्षीय राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने 37 साल तक मध्य अफ्रीकी देश का नेतृत्व किया है। साल 2021 में चुनाव हुए और उन्हें छठे कार्यकाल के लिए फिर से चुना गया।

71 वर्षीय इमोमली रहमान सोवियत संघ के पतन के तुरंत बाद सत्ता में आए थे। वह 31 सालों से अपने गरीब, पहाड़ी देश पर मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। 

77 साल के पूर्व विद्रोही नेता इसायस अफवेर्की 30 साल से सत्ता में बने हुए हैं। वह सन् 1993 में इथियोपिया से स्वतंत्रता हासिल करने के बाद से अफ्रीकी राष्ट्र इरिट्रिया के राष्ट्रपति बने हुए हैं।

पुतिन के करीबी सहयोगी बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने यूक्रेन के पड़ोसी में 29 साल तक सत्ता में बने रहने के लिए सोवियत शैली के दमन का इस्तेमाल किया है। वह फिलहाल 69 साल के हैं।

जिबूती के राष्ट्रपति इस्माइल उमर गुलेह को साल 2021 में पांचवें कार्यकाल के लिए चुना गया था। 76 वर्षीय गुलेह 24 वर्षों से देश के नेता रहे हैं।

71 साल के पुतिन दिसंबर 1999 से सत्ता में बने हुए हैं। वह दिसंबर 1999 में कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। इसके बाद 2000 से 2008 तक दो कार्यकाल तक सत्ता में रहे। फिर अपने प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव के साथ नौकरियों की अदला-बदली की, ताकि लगातार राष्ट्रपति जनादेश को दो तक सीमित करने वाले नियमों को दरकिनार किया जा सके, केवल 2012 में क्रेमलिन नेता की भूमिका को पुनः प्राप्त करने के लिए।

कार्यकाल की सीमा पुतिन को अगले चुनाव में खड़े होने से अयोग्य घोषित कर देती, लेकिन 2020 में एक विवादास्पद संवैधानिक सुधार ने उनके लिए कम से कम 2036 तक सत्ता में बने रहने का मार्ग प्रशस्त किया।

31 दिसंबर 1999 को येल्तसिन ने राष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया। उनके बाद पुतिन कार्यवाहक राष्ट्रपति बने। 26 मार्च 2000 को पुतिन ने अपना पहला राष्ट्रपति चुनाव जीता। मार्च 2004 में पुतिन दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए। उन्हें 70 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे।1993 का रूसी संविधान कहता है कि कोई भी व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल तक राष्ट्रपति बना नहीं रह सकता है। लिहाजा 2008 में पुतिन को पद छोड़ना पड़ा। 

पुतिन ने दिमित्री मेदवेदेव को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और खुद प्रधानमंत्री बन गए। मेदवेदेव की सरकार में संविधान में संशोधन किए गए और तय किया कि राष्ट्रपति का कार्यकाल अब चार साल की बजाय छह साल का होगा। चूंकि पुतिन प्रधानमंत्री रह चुके थे, इसलिए वो 2012 में तीसरी बार रूस के राष्ट्रपति चुने गए। मार्च 2018 में पुतिन चौथी बार राष्ट्रपति बने। 2018 के चुनाव में पुतिन को 75 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे।जुलाई 2020 में पुतिन एक संविधान संशोधन लेकर आए। इससे उन्हें 2036 तक राष्ट्रपति बने रहने की ताकत मिल गई।

रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे एक पूर्व तुत्सी विद्रोही नेता है, जिन्होंने 1994 में तुत्सिस के नरसंहार को समाप्त कर दिया था। अप्रैल 2000 से छोटे मध्य अफ्रीकी गणराज्य के राष्ट्रपति हैं।

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