रूद्राक्ष क्या शिव का रूप है जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा जी से - रूद्राक्ष भाग १
सेलिब्रिटी वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल सिटी प्रेसीडेंट इंटरनेशनल वास्तु अकादमी, कोलकाता यूट्यूब वास्तु सुमित्रा
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रूद्राक्ष को शिव का रूप माना गया है। इसको धारण करने वाले व्यक्तियों की निरोगी काया तथा धन लक्ष्मी की प्राप्ति एवं मान सम्मान में वृद्धि होती है। वे दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने लगते हैं । आज के युग में हर व्यक्ति को उस वस्तु की परम आवश्यकता है जो कि अति शीघ्र से शीघ्र तथा कम समय में ज्यादा से ज्यादा फायदा दे ऐसा हे कमल रुद्राक्ष का है।
क्या रुद्राक्ष धारण करना चाहिए
असली रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। असली रुद्राक्ष किसी को नुकसान नहीं देता है । रुद्राक्ष किसी विशेष राशि से सम्बन्धित नहीं है । अमली रुद्राक्ष पहनने के एक घन्टे के अन्दर ही अपना प्रभाव दिखाने लगता है। अतः नकली, घुना काठ का जोड़ा हुआ रुद्राक्ष फायदे की जगह नुकसान ही देता है।
आप रुद्राक्ष किसी विश्वसनीय या अनुभवी दुकानदार से लेकर ही पहनें जिससे फायदा न होने पर आप उसको वापिस कर सकते हैं ।
इसलिए आजकल दुनियां भर के वैज्ञानिकों ने कहा है कि रुद्राक्ष एक ऐसो वस्तु है जो कि शरीर की रक्षा करके शरीर के अन्दर और बाहर की तमाम बीमारियों को निकल कर बाहर फेंक देता है। इसलिये आज के सांइसदानों ने रुद्राक्ष को शरीर की रक्षा हेतु अद्भुत बताया है। जिसका असर तुरन्त होता है । इसलिये असली रुद्राक्ष होना चाहिये । रुद्राक्ष कोई ऐसी दुर्लभ वस्तु नहीं है और न ही वह कोई ज्यादा मंहगा होता है। यदि कोई रुद्राक्ष मंहगा होता भी है तो उसका प्रभाव तुरन्त दिखाई पड़ता है । इसलिये आज कल की दुनियाँ में रुद्राक्ष की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है ।
रुद्राक्ष की उत्पत्ति
रुद्राक्ष की उत्पति से जुडी एक कथा है - एक समय की बात है भगवान शंकर तपस्या करते हुए थक गये थे । थक कर उन्होंने अपनी आंखे बन्द कर ली। उनकी आँखों से आंसू बहने लगे और उन आँसुनों की कुछ बूदें पृथ्वी पर गिर पड़ी उन बूंदों से कई रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हो गये ।
रूद्र का अर्थ है रुदन करनाऔर क्ष का अर्थ है - नाश करना। अर्थात रुद्राक्ष का अर्थ है दुःख का नाश करने वाला तथा रोगों का नाश करने वाला। रूद्राक्ष की उत्पत्ति हुई तभी सभी देवी देवताओं ने रूद्रक्ष को अपने-अपने शरीर में अंगीकार कर लिया। वैसे तो सभी रुद्राक्ष शिव का रूप माने गये हैं। जिस-जिस देवी देवताओं ने रुद्राक्ष धारण किया वह उसी तरह उन स्वरुप में प्रसिद्ध हुए।
मुख का अर्थ -
मुख का अर्थ है रुद्राक्ष में उपस्थित धारियां (लाईने) एवं छेद भी जो कुदरती होते हैं।
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