रिसर्च शिप डॉकिंग के लिए चीन के अनुरोध पर विचार कर रहा श्रीलंका
श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता प्रियंगा विक्रमसिंघा ने बताया कि इस संबंध में चीनी दूतावास ने एक आवेदन दिया है और मंत्रालय फिलहाल इस पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, यात्रा के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है।
श्रीलंका। (आरएनआई) श्रीलंका वर्तमान में चीन द्वारा देश में एक अनुसंधान जहाज (Research Ship) को डॉक करने की अनुमति देने के अनुरोध पर विचार कर रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। गौरतलब है कि पिछले साल एक चीनी जासूसी जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा पर बंदरगाह पर पहुंचा था, उस जहज की यात्रा के एक साल बाद फिर भारत की सुरक्षा संबंधी चिंताए बढ़ गई हैं।
श्रीलंका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता प्रियंगा विक्रमसिंघा ने बताया कि इस संबंध में चीनी दूतावास ने एक आवेदन दिया है और मंत्रालय फिलहाल इस पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा, यात्रा के लिए अभी तक कोई तारीख तय नहीं की गई है। चीनी अनुसंधान जहाज 'शी यान 6' (SHI YAN 6) के अक्टूबर में समुद्री अनुसंधान गतिविधियों के लिए श्रीलंका पहुंचने की उम्मीद है।
बताया गया है कि शी यान-6 की वहन क्षमता 1115 डीडब्ल्यूटी है और एक अनुसंधान या सर्वेक्षण पोत है। इसकी कुल लंबाई 90.6 मीटर और चौड़ाई 17 मीटर बताई गई है। श्रीलंकाई मीडिया में चर्चा है कि भारत द्वारा उठाई जा रही संभावित चिंताओं के कारण यहां का विदेश कार्यालय इस अनुरोध को लेकर अजीब स्थिति में है।
उम्मीद है कि यह पोत राष्ट्रीय जलीय संसाधन अनुसंधान और विकास एजेंसी (एनएआरए) के साथ संयुक्त रूप से अनुसंधान करेगा। चीनी नियमित आधार पर अपने जहाज श्रीलंका भेजता रहता है। दो हफ्ते पहले चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी का युद्धपोत हाई यांग-24 एचएओ (HAI YANG 24 HAO) दो दिवसीय दौरे पर देश में आया था। बताया गया है कि भारत द्वारा जताई गई चिंताओं के कारण 129 मीटर लंबे जहाज के आगमन में देरी हुई है।
पिछले साल अगस्त में चीनी बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज 'युआन वांग-5' इसी तरह की यात्रा के तहत दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचा था। इसे लेकर श्रीलंका को भारत से कड़ी प्रतिक्रिया मिली थी। नई दिल्ली में इस बात की आशंका थी कि श्रीलंकाई बंदरगाह के रास्ते में जहाज के ट्रैकिंग सिस्टम भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों पर जासूसी करने का प्रयास कर सकते हैं। हालांकि, काफी देरी के बाद श्रीलंका ने जहाज को एक चीनी कंपनी द्वारा बनाए जा रहे हंबनटोटा के रणनीतिक दक्षिणी बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति दी थी।
नकदी की कमी से जूझ रहा श्रीलंका अपने विदेशी ऋण के पुनर्गठन के कार्य में भारत और चीन दोनों को समान रूप से महत्वपूर्ण साझेदार मानता है। चीन श्रीलंका के शीर्ष ऋणदाताओं में से एक है।
श्रीलंका पर द्विपक्षीय ऋणदाताओं का 7.1 अरब अमेरिकी डॉलर बकाया है, जिसमें चीन का तीन अरब अमेरिकी डॉलर भी शामिल है।
श्रीलंका के बाहरी और घरेलू ऋण पुनर्गठन के लिए बातचीत सितंबर तक पूरी होना है, यही समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा इस साल मार्च में बढ़ाए गए 2.9 अरब अमेरिकी डॉलर के राहत पैकेज की समीक्षा का भी है। विदेशी मुद्रा भंडार की गंभीर कमी के कारण, द्वीप राष्ट्र 2022 में एक अभूतपूर्व वित्तीय संकट की चपेट में आ गया था।
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