रिलायंस रिटेल में 8,199 करोड़ रुपये में एक प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगा कतर निवेश प्राधिकरण
कतर का सॉवरेन संपदा कोष मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की खुदरा इकाई में करीब एक प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। उद्योग सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, 26 जुलाई 2023, (आरएनआई)। कतर का सॉवरेन संपदा कोष मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज की खुदरा इकाई में करीब एक प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए बातचीत कर रहा है। उद्योग सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
सूत्रों ने बताया कि कतर निवेश प्राधिकरण (क्यूआईए) द्वारा रिलायंस रिटेल वेंचर्स लि. (आरआरवीएल) में एक प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण एक अरब डॉलर या 8,199 करोड़ रुपये में किया जाएगा। इस लिहाज से आरआरवीएल का मूल्यांकन करीब 100 अरब डॉलर बैठेगा।
आरआरवीएल, रिलायंस इंडस्ट्रीज के खुदरा साम्राज्य की होल्डिंग कंपनी है। इस कदम से आरआरवीएल को अपने विस्तार को और तेज करने में मदद मिलेगी।
इस बारे में संपर्क करने पर रिलायंस रिटेल के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कंपनी निरंतर आधार पर विभिन्न अवसरों का मूल्यांकन करती है। हमारा सिद्धान्त है कि हम बाजार में चल रही अटकलों पर टिप्पणी नहीं करते हैं।’’
इससे पहले इसी महीने मीडिया की खबरों में कहा गया था कि कंपनी द्वारा नियुक्त दो वैश्विक सलाहकारों ने आरआरवीएल का मूल्यांकन 92-96 अरब डॉलर के बीच निकाला है।
आरआरवीएल कंपनियों का अधिग्रहण कर भारत में अपने कारोबार का तेजी से विस्तार कर रही है। इसके अलावा वह भारतीय बाजार के लिए प्रमुख अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के फ्रेंचाइजी अधिकार भी हासिल कर रही है।
इस महीने की शुरुआत में रिलायंस रिटेल ने कहा था कि वह अपने प्रवर्तक और होल्डिंग कंपनी के अलावा अन्य शेयरधारकों के पास मौजूद इक्विटी शेयर पूंजी को कम कर रही है।
कंपनी के निदेशक मंडल ने चार जुलाई, 2023 को पूंजी घटाने की योजना के तहत ऐसे शेयरधारकों की पूंजी को रद्द करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
आरआरवीएल ने 2020 में 10.09 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर वैश्विक निजी इक्विटी कोषों से 47,265 करोड़ रुपये (लगभग 6.4 अरब डॉलर) जुटाए थे। उस समय कंपनी का मूल्यांकन 4.2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया था।
कंपनी ने उस समय लगभग 57 अरब डॉलर के मूल्यांकन पर सिल्वर लेक, केकेआर, मुबाडला, अबू धाबी निवेश प्राधिकरण, जीआईसी, टीपीजी, जनरल अटलांटिक और सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश कोष से धन जुटाया था।
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