रामेश्वरम कैफे विस्फोट: NIA का खुलासा- मुस्लिम युवाओं को डार्क वेब-क्रिप्टो के जरिए IS में भर्ती की हुई साजिश
एनआईए ने सोमवार को रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। आरोपपत्र में खुलासा किया गया है कि मुस्लिम युवाओं को गुमराह कर उन्हें आईएसआईएस में शामिल करने की साजिश रची गई थी। इसके लिए आतंकी डार्क वेब, क्रिप्टो मुद्रा व टेलीग्राम की मदद ले रहे थे।
नई दिल्ली (आरएनआई) राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार आरोपियों के खिलाफ जो आरोपपत्र दायर किया है, उसमें अहम खुलासा हुआ है। मुस्लिम युवाओं को गुमराह कर उन्हें वैश्विक आतंकी संगठन 'आईएसआईएस' में शामिल करने के लिए बड़ी साजिश रची जा रही थी। सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों से बचने के लिए ये आतंकी डार्क वेब, क्रिप्टो मुद्रा व टेलीग्राम की मदद ले रहे थे।
एनआईए ने सोमवार को हाई - प्रोफाइल बंगलूरू रामेश्वरम कैफे विस्फोट मामले में चार आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। इन आरोपियों में मुसाविर हुसैन शाजिब, अब्दुल मथीन अहमद ताहा, माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ शामिल हैं। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और पीडीएलपी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है। ये चारों आरोपी आरसी-01/2024/एनआईए/बीएलआर मामले में फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। इस साल एक मार्च को आईटीपीएल बंगलूरू के ब्रुकफील्ड स्थित रामेश्वरम कैफे में हुए आईईडी विस्फोट में नौ लोग घायल हो गए थे। होटल की संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा था।
एनआईए ने 3 मार्च को इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने इस केस में विभिन्न राज्य पुलिस बलों और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय कर कई तकनीकी पहलुओं की जांच की थी। जांच से पता चला है कि शाजिब ही वह शख्स था, जिसने कैफे में बम रखा था। वह, ताहा के साथ, 2020 में अल-हिंद मॉड्यूल आतंकी संगठन का भंडाफोड़ होने के बाद से फरार था। एनआईए द्वारा की गई व्यापक तलाशी के कारण उन्हें रामेश्वरम कैफे विस्फोट के 42 दिन बाद पश्चिम बंगाल में उनके ठिकाने से गिरफ्तार किया गया। कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के रहने वाले दोनों व्यक्ति आईएसआईएस के साथ जुड़े हुए थे। उन्होंने पहले सीरिया में आईएसआईएस क्षेत्रों में हिजरत करने की साजिश रची थी।
ये दोनों व्यक्ति भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस विचारधारा के प्रति कट्टरपंथी बनाने में सक्रिय रूप से शामिल थे। माज मुनीर अहमद और मुजम्मिल शरीफ ने ऐसे दर्जनों युवाओं का माइंड वॉश किया था। ताहा और शाजिब ने धोखाधड़ी से प्राप्त भारतीय सिम कार्ड और भारतीय बैंक खातों का उपयोग किया। सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में न आने पाएं, इसके लिए उन्होंने डार्क वेब की मदद ली। इसी की मदद से उन्होंने विभिन्न भारतीय और बांग्लादेशी पहचान पत्र वाले दस्तावेजों को डाउनलोड किया था। जांच से यह भी पता चला है कि ताहा को एक पूर्व दोषी शोएब अहमद मिर्जा ने लश्कर-ए-तैयबा बंगलूरू साजिश मामले में भगोड़े मोहम्मद शहीद फैसल से मिलवाया था। इसके बाद ताहा ने अपने हैंडलर फैसल को अल-हिंद आईएसआईएस मॉड्यूल मामले के आरोपी महबूब पाशा और आईएसआईएस दक्षिण भारत के अमीर खाजा मोहिदीन और बाद में माज मुनीर अहमद से मिलवाया। इन सभी ने मिलकर आईएसआईएस विचारधारा के मुताबिक आतंक को आगे बढ़ाने की साजिश रची थी।
आतंकी वारदात को अंजाम देने के लिए ताहा और शाजिब को उनके हैंडलर द्वारा क्रिप्टो मुद्राओं के माध्यम से वित्त पोषित किया गया था। ताहा ने विभिन्न टेलीग्राम आधारित पी2पी प्लेटफार्मों की मदद से फिएट में बदल दिया। जांच में आगे पता चला है कि आरोपियों ने इस धनराशि का इस्तेमाल बंगलूरू में हिंसा की विभिन्न घटनाओं को अंजाम देने के लिए किया था। इनमें 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन राज्य भाजपा कार्यालय, मल्लेश्वरम, बंगलूरू पर एक असफल आईईडी हमला भी शामिल था। इसके बाद दो मुख्य आरोपियों ने रामेश्वरम कैफे विस्फोट की योजना बनाई थी।
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