राम मंदिर के गर्भगृह तक नहीं जा सकेंगे भक्त
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों के अनुसार, यह व्यवस्था गर्भगृह की पवित्रता को बनाए रखने के लिए की गई है। साथ ही हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिर के गर्भगृह में केवल राजा और मंदिर के पुजारी को ही जाने का अधिकार होता है।
भगवान राम के अयोध्या में बन रहे मंदिर का उद्घाटन जनवरी महीने के तीसरे सप्ताह मेंं 21 से 24 जनवरी के बीच कभी भी हो सकता है। प्रधानमंत्री कार्यालय से तिथि मिलने के बाद इसे अंतिम रूप से घोषित किया जाएगा। इस बीच एक बात अभी से तय है कि मंदिर के उद्घाटन के बाद भी राम भक्तों को भगवान राम की प्रतिमा को छूने का अवसर नहीं मिल पाएगा। भक्तों को गर्भगृह में भी जाने की अनुमति नहीं होगी। लोग लगभग 35 फीट की दूरी से भगवान के दर्शन करेंगे।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों के अनुसार, यह व्यवस्था गर्भगृह की पवित्रता को बनाए रखने के लिए की गई है। साथ ही हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिर के गर्भगृह में केवल राजा और मंदिर के पुजारी को ही जाने का अधिकार होता है। इस पारंपरिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए गर्भगृह में केवल प्रधानमंत्री और पुजारी को ही प्रवेश मिलना तय किया गया है।
इस समय भी देश के बड़े-बड़े मंदिरों में भक्तों को गर्भगृह तक जाने की अनुमति नहीं होती। तिरुपति बालाजी और भगवान जगन्नाथ के मंदिर में भी इसी तरह की व्यवस्था है। लेकिन भगवान शिव के मंदिर इस मामले में अपवाद होते हैं। इसका बड़ा कारण है कि भगवान शिव की पूजा में रुद्राभिषेक का बहुत अधिक महत्त्व है, जिसमें भक्त शिवलिंग को छूकर ही पूजा संपन्न करते हैं। ऐसे में बिना गर्भगृह में गए रुद्राभिषेक संभव नहीं है। लेकिन अन्य मंदिरों में गर्भगृह के बाहर दूर से ही देवी-देवताओं के दर्शन-पूजा की परंपरा है।
उद्घाटन के बाद भी राम भक्तों को लगभग 35 फीट की दूरी से भगवान के दर्शन करने की व्यवस्था रहेगी। इससे मंदिर की पवित्रता के साथ-साथ भीड़ को नियंत्रण में रखने में सहायता मिलेगी। प्रतिमा को ऊंचे स्थान पर रखा जाएगा जिससे दूर से भी लोगों को भगवान राम के बेहतर दर्शन हो सकें।
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