राम को आधार बना रामाधार ने लिख दिया हस्तलिखित ग्रंथों का इतिहास - श्रीमद् भागवत महापुराण, श्रीमद् बाल्मीकि रामायण सहित तुलसी के एक दर्जन ग्रंथों को भी किया हस्तलिखित - ब्रज द्वार सनातन परिषद, ब्रज बरसाना मंडल व पांडित्य परिषद ने भी की गदगद सराहना
हाथरस-25 अक्टूबर। इन्हें द्वापर के वेदव्यास कहें या त्रेता के बाल्मीक या फिर राम चरुणानुरागी गोस्वामी तुलसीदास। क्योंकि इन्होंने श्रीमद ्भागवत और रामायण सहित करीब डेढ़ दर्जन से भी ज्यादा ग्रंथों को एक ही कलम से लिख डाला। जिनमें हजारों श्लोक, चैपाई और मंत्रों के अलावा सैकड़ों अध्याय शामिल हैं। ऐसा गृहस्थ में रहकर एक सद्गृहस्त संत की तरह जीवन का निर्वहन कोई श्रामाधार ही कर सकता है।
जी हाँ ! हम वास्तव में ब्रज की देहरी कहे जाने वाली हाथरस नगरी के रामाधार सिंघल की कर रहे हैं। जिन्होंने विश्व स्तरीय (वल्र्ड रिकार्ड) का कार्य किया है, लेकिन साधुता इतनी कि अपने द्वारा किये इस महान कार्य की चर्चा ही नहीं। हाथरस के वैश्य परिवार में जन्मे श्री रामाधार जी का यह कार्य जब परिजनों ने देखा तो अचंभित रह गये। कार्य की चर्चा घर और फिर बाहर होते-होते सनातन के क्षेत्र में कार्य कर रहीं संस्था ब्रजद्वार सनातन परिषद व ब्रज बरसाना यात्र मंडल तक पहुंची तो अनायास ही ऐसी शख्सियत (विशेष व्यक्तित्व) से मिलने और उनके द्वारा किये कार्य दर्शन को देखा और स्वभाव की अनुभूति की तो उनके द्वारा लिखित अक्षर, शब्द, गद्य, पद्य, दोहा, सोरठा, छंद, श्लोक व मंत्रों के दर्शन कर अपने आप को अभिभूत किया।
यह हैं रामाधार जी द्वारा हस्तलिखित ग्रंथ-श्रीमद् भागवत महापुराण {संस्कृत भाषा में 12 स्कन्ध, 335 अध्यायों में, 18000 श्लोक}, श्रीमद् बाल्मीकि रामायण {संस्कृत भाषा में सात कांड में 24000 श्लोक}, चारो वेद-ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद {संस्कृत भाषा में 20416 मंत्र}, श्री गोस्वमी तुलसीदास जी द्वारा रचित 12 ग्रंथ- श्रीराम चरित मानस (सात कांड में 9388 चैपाई, 1172 दोहा, 86 सोरठा), श्री गीतावली (330 पद), श्री दोहावली (573 दोहे), श्री कवितावली (183 पद), श्री विनय पत्रिका (279 पद), श्रीकृष्ण गीतावली (61 पद), श्रीरामलला नहछू (सोरठा छंद), श्रीरामज्ञा प्रश्नावली (343 दोहा), श्रीबरवै रामायण (69 बरवै छंद), श्रीपार्वती मंगल (148 द्विपदियां, 16 हरिगीतिकायें), श्रीजानकी मंगल (192 द्विपदियां, 24 हरिगीतिकायें), श्रीवैराग्य संदीपनी (62 छंद), श्रीमद्भागवत गीता (संस्कृत भाषा में 700 श्लोक), श्रीसत्य नारायण व्रतकथा (संस्कृत भाषा में 170 श्लोक, हिन्दी में अनुवाद सहित) के अलावा श्रीरामर्चा, श्री चार धाम जय, श्रीराम स्तुति, श्रीरामजी, सीताजी, हनुमान जी के सहस्त्र नाम, श्री हनुमान चालीसा इत्यादि ग्रंथ श्रामाधार सिंघल जी लिख दिये हैं। यह ही नहीं अभी भी लेखन कार्य जारी है। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि एक-अक्षर को मोतियों की तरह लाल, हरे आदि कलरों से सजाकर लिखा गया है। इससे भी विशेष यह है कि अयोध्या धाम के संत श्री नृत्यगोपाल दास, वृंदावन के संत श्री राजेन्द्र दास जी सरीके दर्जनों संतों ने आपके इस कार्य को अद्वितीय बताते हुए सराहनीय पत्र भी लिखे हैं।
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