राज्यपाल रवि के खिलाफ डीएमके ने खोला मोर्चा, कनिमोझी बोलीं- सीएम स्टालिन के धैर्य की भी एक सीमा
राज्यपाल के विधानसभा सत्र से नाराज होकर जाने को लेकर पूरे राज्य में डीएमके ने प्रदर्शन किया। डीएमके ने राज्यपाल के अभिभाषण न पढ़ने के कदम की निंदा की। डीएमके की उप महासचिव और लोकसभा सदस्य कनिमोझी ने कहा कि केंद्र सरकार ने आरएन रवि को तमिलनाडु का राज्यपाल डीएमके सरकार को परेशान करने और तमिलों का अपमान करने के लिए बनाया है।
चेन्नई (आरएनआई) तमिलनाडु में स्टालिन सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच विवाद बढ़ रहा है। राज्यपाल के विधानसभा सत्र से नाराज होकर जाने को लेकर पूरे राज्य में डीएमके ने प्रदर्शन किया। डीएमके ने राज्यपाल के अभिभाषण न पढ़ने के कदम की निंदा की। डीएमके की उप महासचिव और लोकसभा सदस्य कनिमोझी ने कहा कि केंद्र सरकार ने आरएन रवि को तमिलनाडु का राज्यपाल डीएमके सरकार को परेशान करने और तमिलों का अपमान करने के लिए बनाया है। उन्होंने कहा कि हमारे नेता स्टालिन के धैर्य की एक सीमा है।
कनिमोझी ने कहा कि राज्यपाल का पद राजनीति करने के लिए नहीं है। अगर राज्यपाल विधानसभा को संबोधित करने के इच्छुक नहीं हैं तो वे छुट्टी पर जा सकते हैं। यह तीसरी बार है जब राज्यपाल ने विधानसभा का अपमान किया है। सीएन अन्नादुरई और एम करुणानिधि जैसे नेताओं द्वारा तैयार किए गए डीएमके सदस्य मुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष एमके स्टालिन के नेतृत्व में जल्द ही राज्यपाल की ओर से भाजपा सरकार द्वारा लगाए गए सभी अवरोधों को दूर कर देंगे। उन्होंने कहा कि हमारे नेता स्टालिन के धैर्य की एक सीमा है। वह दिन दूर नहीं जब राज्यपाल को वापस भेज दिया जाएगा।
डीएमके संगठन सचिव आरएस भारती ने आरोप लगाया कि राज्यपाल अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला करके राज्य में पांच दशकों की परंपरा को तोड़ना चाहते हैं। वह अभिभाषण न पढ़ने के लिए बहाने बना रहे हैं। उनके पास बहिष्कार करने का कोई सही कारण नहीं है। उन्हें जलन हो रही है क्योंकि उनकी पार्टी द्वारा शासित राज्य तमिलनाडु की तरह प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं।
राज्यपाज की निंदा करने पर भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष और विधायक वनथी श्रीनिवासन ने डीएमके को घेरा। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को कमजोर करना सत्तारूढ़ दल की आदत बन गई है। जब भी राज्यपाल विधानसभा में आते हैं, वे ऐसा नाटक करने की कोशिश करते हैं जैसे कि वह तमिलनाडु का अपमान कर रहे हों। कल राज्यपाल ने राष्ट्रगान बजाने पर जोर दिया, जिसका पालन द्रमुक के सहयोगी दलों द्वारा शासित पश्चिम बंगाल या केरल में भी किया जाता है। राज्यपाल जब भी आते हैं, राष्ट्रगान गाया जाता है। लेकिन यहां डीएमके को लगता है कि तमिलनाडु में अलग प्रक्रिया है।
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