राजस्थान वित्त विभाग के अफसरों की एक और कारगुजारी, महीना खत्म होने से पहले ही खातों में डाले वेतन और पेंशन
राजस्थान वित्त विभाग के अफसरों की एक और कारगुजारी सामने आई है। महीना खत्म होने से एक हफ्ते पहले ही हजारों कर्मचारियों और पेंशनर्स के खातों में वेतन और पेंशन डाल दिया गया।
जयपुर (आरएनआई) इधर सरकार लोकसभा चुनावों में व्यस्त है और उधर अफसर सरकारी खजाने को लुटाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। जिन निदेशालय कोष एवं लेखा व वित्त मार्गोपाय विभाग के अफसरों ने पिछले महीने कर्मचारियों के खातों में दोहरा वेतन क्रेडिट किया था, अब उन्हीं अफसरों ने एक बार फिर कर्मचारियों और पेंशनर्स के खातों को महीना खत्म होने से एक सप्ताह पहले ही एडवांस वेतन और पेंशन क्रेडिट कर डाली। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि कर्मचारियों और पेंशनर्स को एक सप्ताह पहले ही एडवांस सैलेरी और पेंशन जारी कर दी गई हो।
मामला IFMS 3.0 सिस्टम से ही जुड़ा है। सरकार में कर्मचारियों को हर महीने के पहले वर्किंग डे पर वेतन और पेंशनर्स को उनके खातों में पेंशन क्रेडिट की जाती है। इसके लिए विभागों से महीने की 20 से 25 तारीख के बीच से वेतन और पेंशन बिल बनकर ट्रेजरी में भेज दिए जाते हैं। इसके बाद ट्रेजरी बिल पास करती है और वित्त मार्गोपाय विभाग के सेंट्रलाइज सिस्टम से महीने के पहली तारीख पर कर्मचारियों और पेंशनर्स के खातों में वेतन ECS कर दिया जाता है। लेकिन इस बार जितने भी जिलों से 23 अप्रैल तक के वेतन और पेंशन के बिल बनकर ट्रेजरी पहुंचे, उन बिलों को पहले ट्रेजरी ने ऑटो फॉरवर्ड कर दिया, उसके बाद वित्त मार्गोपाय विभाग के अफसरों ने बिना चेक करे पैसा खातों में ट्रांसफर कर दिया।
सरकार में हर महीने वेतन और पेंशन के मिलाकर करीब नौ हजार करोड़ रुपये के बिल बनते हैं। इसमें पिछले महीने कर्मचारियों को डबल पेमेंट और इस महीने एडवांस पेमेंट कर दिए गए। इसमें पहले तो कर्मचारियों को एडवांस पेमेंट कर दिए गए। राजकोष का जो पैसा किसी और काम में आता, वह पहले ही वेतन में डाल दिया। फिर करोड़ों रुपये पर सरकार को बैंक से जो ब्याज मिलता है, उसका भी नुकसान हुआ। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बार-बार सरकार को वित्तीय नुकसान पहुंचाने वाले अफसरों पर कार्रवाई कब होगी?
यही नहीं इन अफसरों की कारगुजारी के और भी नमूने सामने आए हैं। इसमें कर्मचारी किसी और जिले के ऑफिस में काम कर रहे हैं और उनका वेतन किसी और जिले के दूसरे दफ्तर से उठ गया। यही नहीं मार्च एंड में उनके वेतन से जो टैक्स कटौतियां होनी थी, वह भी नहीं हुई। अब कर्मचारी इसे लेकर विभागों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई जवाब देने वाला नहीं मिल रहा।
वेतन सेंट्रलाइज्ड सिस्टम खामियों और नाकाबिल अफसरों की वजह से पूरा तंत्र ही डगमगाया हुआ है। IFMS 3.0 के की खामियों के चलते जो कर्मचारी महीने की 16 तारीख से आगे छुट्टी ले लेते हैं तो सिस्टम उनकी लीव सेंक्शन करने के बजाय उसे एरियर बताता है। इससे बहुत से कर्मचारियों का वेतन सिस्टम जनरेट ही नहीं कर पा रहा है और उन्हें वित्त विभाग के चक्कर लगाने प
ड़ रहे हैं।
ये भी जाने लें...
- कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें पिछले साल वेतन नहीं मिला
- कुछ लोग ऐसे हैं, जिनका डिडेक्शन नहीं हुआ
- सिस्टम इतना नया है कि कर्मचारी न ही किसी तरह की रिपोर्ट देख पा रहे हैं और न अपने डिडेक्शन की डिटेल निकाल पा रहे हैं
- कुछ ऐसे हैं, जिन्हें डबल पेमेंट और एडवांस पेमेंट हो गए
- कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें डबल पेमेंट दे दिया गया। अब इस महीने उनका वेतन रोक दिया गया, जिससे वे अपनी कटौतियों का समायोजन नहीं करवा पा रहे हैं
- कुछ कर्मचारियों को आधा वेतन पे मैनेजर 2.0 से वेतन मिला और बाकी आधा 3.0 मिला, जिससे वे अपनी कटौतियों का समायोजन नहीं कर पा रहे हैं
- कुछ कर्मचारी इसलिए वित्त विभाग के चक्कर काट रहे हैं, क्योंकि उनके वेतन बिल ही सिस्टम में नहीं दिखाए जा रहे
- कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके एरियर बिल भी महीनों से अटके हुए हैं
- बोर्ड चेयरमैन, विधायक इनकी एंप्लाई आईडी नहीं होती, वे लोग वेतन प्राप्त करने के लिए वित्त विभाग के चक्कर लगा रहे हैं
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