'राजनीतिक संरक्षण के बिना भोले बाबा जैसे लोग नहीं आगे बढ़ते' : पूर्व डीजीपी बृजलाल
बृज लाल ने कहा कि 20 दिसंबर 1989 को उन्हें इटावा भेजा गया। बतौर पुलिस अधीक्षक उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अपने वरिष्ठ अफसरों की नाराजगी मोल लेकर अपने थानाध्यक्ष आलम खान का उनके सही कामकाज के लिए संरक्षण किया था। विभागीय कार्रवाई और तमाम समस्याएं झेले, लेकिन अप्रैल 1990 में मुख्यमंत्री के भाई और उ.प्र. विधानसभा के वर्तमान सदस्य शिवपाल सिंह यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने से पीछे नहीं हटे।
नई दिल्ली (आरएनआई) हाथरस में जो कुछ हुआ, वह प्रशासन और पुलिस की बहुत बड़ी लापरवाही का परिणाम है। उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी और अपने समय के तेजतर्रार अफसरों में गिने जाने वाले बृज लाल ने कहा कि नारायण साकार उर्फ भोले बाबा जैसे लोग बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं फलते फूलते। बृजलाल ने कहा कि संविधान की शपथ लेकर कुर्सी पर बैठे सरकार के अधिकारियों और पुलिस प्रशासन को गंभीरता से अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। बृज लाल भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं। पिछली सरकार में गृह मंत्रालय की संसदीय समिति में थे। बृज लाल ने कहा कि वातानुकूलित गाड़ियों, बंगलों और सिर्फ दफ्तर में बैठने से देश आगे नहीं बढ़ेगा।
बृज लाल ने कहा कि 20 दिसंबर 1989 को उन्हें इटावा भेजा गया। बतौर पुलिस अधीक्षक उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और अपने वरिष्ठ अफसरों की नाराजगी मोल लेकर अपने थानाध्यक्ष आलम खान का उनके सही कामकाज के लिए संरक्षण किया था। विभागीय कार्रवाई और तमाम समस्याएं झेले, लेकिन अप्रैल 1990 में मुख्यमंत्री के भाई और उ.प्र. विधानसभा के वर्तमान सदस्य शिवपाल सिंह यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने से पीछे नहीं हटे।
बृज लाल पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के राज में उ.प्र. के पुलिस महानिदेशक रहे। माफिया के खिलाफ करीब 20 ऑपरेशन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह कहते हैं कि जब शिवपाल के खिलाफ केस न करने के लिए मेरे ऊपर दबाव पड़ रहा था तो मेरे लिए बहुत आसान था। शिवपाल को क्लीनचिट दे देते और सरकार से प्रोन्नति, पोस्टिंग और मलाई का तमगा ले लेते, लेकिन संविधान रक्षा की शपथ मेरी पहली प्राथमिकता रही।
पूर्व पुलिस अधिकारी ने कहा कि बिना राजनीतिक संरक्षण के भोले बाबा जैसे लोग आगे नहीं बढ़ते। वोट बैंक की राजनीति में नेता भोले बाबा को चमत्कारी बताने लगते हैं। मंच पर राजनेताओं के इस प्रयास से बाबाओं के अनुयायी बहुत बढ़ते लगते हैं और बाबा बाद में मुसीबत बन जाते हैं। वह कहते हैं कि आप भोले बाबा को देख लीजिए। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का वीडियो वायरल हो रहा है। भोले बाबा को चमत्कारी बता रहे हैं। अब आप समझ लीजिए। जब ऐसा होगा तो तमाम अफसर बाबा की संभावित अनुकंपा पाने के लिए भी दरबार लगाएंगे। आगरा के रामवृक्ष यादव को याद कर लीजिए। किसके संरक्षण में पले-बढ़े, फूले। जवाहर बाग को कब्जा कर लिया। अपनी पहरेदार, सेना खड़ी कर ली। उसे एक राज्यसभा सांसद का संरक्षण प्राप्त था और बाद में क्या हुआ, सब जानते हैं।
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