राजद विधायक ने अपने राष्ट्रीय नेता के खिलाफ खोला मोर्चा
महागठबंधन में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मंत्री आमने-सामने भिड़े थे। अब राजद के विधायक ने अपने राष्ट्रीय नेता के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। साफ कहा है कि समाजवाद के नाम पर राजपूतों (ठाकुरों) को टारगेट करना दोगलापन के अलावा कुछ नहीं।
पटना, (आरएनआई) मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने जनता दल यूनाईटेड (JDU) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को पार्टी के विधायक और बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री ने खरा-खरा जवाब दे दिया था। अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद मनोज झा को पार्टी के विधायक ने जमीन दिखा दी है। पिछली सदी में बाहुबल के बाद क्षत्रिय राजनीति के जरिए प्रभाव जमाने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह के बेटे ने एक तरह से तलवार निकाल दी है। उन्होंने मनोज झा के संसद में दिए बयान का सार्वजनिक रूप से प्रतिकार किया है। उन्होंने जो लिखा है, वह राजद के अंदर अगड़ा-पिछड़ा की लड़ाई को सामने ला रहा है।
आनंद मोहन सिंह के बेटे और राजद विधायक चेतन आनंद का सोशल मीडिया पोस्ट सामने आया तो राजद के अंदर स्वाभाविक रूप से खलबली मच गई। राजद के किसी विधायक ने पहली बार इस तरह से अपने किसी राष्ट्रीय नेता पर तीखा हमला किया है। उन्होंने लिखा- "हम "ठाकुर" हैं साहब!! सबको साथ लेकर चलते हैं। इतिहास में सबसे अधिक बलिदान हमारा है। समाजवाद में किसी एक जाती को टार्गेट करना समाजवाद के नाम पर दोगलापन के अलावा कुछ नहीं। जब हम दूसरों के बारे में गलत नही सुन सकते तो अपने (ठाकुरों) पर अभद्र टिप्पणी बिल्कुल नही बर्दाश्त करेंगे। उन्होंने लिखा कि माननीय संसद श्री मनोज झा के विचारों का पुरजोर विरोध।
संसद के विशेष सत्र के दौरान राज्यसभा में महिला रिजर्वेशन बिल पर भाषण देते हुए राजद सांसद प्रो. मनोज झा ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की एक कविता कोट की थी। सांसद प्रो. मनोज झा ने दबंगई को परिभाषित करते हुए ओमप्रकाश वाल्मीकि की रचना 'ठाकुर का कुआँ' संसद में पूरी सुना दी थी। उन्होंने तीखे शब्दों में यह कविता सुनाई थी। इस कविता को पढ़ने से पहले ही मनोज झा ने कहा था कि यह किसी जाति विशेष पर टिप्पणी नहीं है। उन्होंने जो कविता पढ़ी वह 'अमर उजाला' आपको जस के तस पढ़ा रहा है।
चूल्हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का।
भूख रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का।
बैल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फ़सल ठाकुर की।
कुआँ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलिहान ठाकुर के
गली-मुहल्ले ठाकुर के
फिर अपना क्या?
गाँव?
शहर?
देश?
यह कविता दबंगई पर केंद्रित है, जिसे मनोज झा ने उसी अंदाज में सुनाया भी। यह सुनाने के बाद उन्होंने हालांकि सांसद, सरकार और खुद भी ठाकुर कहते हुए दबंग बताकर मामले को सुलझाने की कोशिश की। राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा के बयान का भाजपा ने खुला विरोध किया था, लेकिन अब जब राजद के अंदर बुलंद आवाज उठ गई है तो चेतन आनंद का सोशल मीडिया पोस्ट भी ज्यादा तेजी से वायरल हो रहा है और संसद में सुनाई गई कविता भी सुर्खियों में है।
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