राखी की एक कहानी ऐसी भी है
राखी की एक कहानी ऐसी भी है
सिकंदर पूरे विश्व को फतह करने निकला और भारत आ पहुंचा। यहां उसका सामना भारतीय राजा पुरु से हुआ। राजा पुरु बहुत वीर और बलशाली राजा थे, उन्होंने युद्ध में सिकंदर को धूल चटा दी। इसी दौरान सिकंदर की पत्नी को भारतीय त्योहार रक्षाबंधन के बारे में पता चला। तब उन्होंने अपने पति सिकंदर की जान बख्शने के लिए राजा पुरु को राखी भेजी। पुरु आश्चर्य में पड़ गए, लेकिन राखी के धागों का सम्मान करते हुए उन्होंने युद्ध के दौरान जब सिकंदर पर वार करने के लिए अपना हाथ उठाया तो राखी देखकर ठिठक गए और बाद में बंदी बना लिए गए। दूसरी ओर बंदी बने पुरु की कलाई में राखी को देखकर सिकंदर ने भी अपना बड़ा दिल दिखाया और पुरु को उनका राज्य वापस कर दिया।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त २०२३
३० अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त- रात ०९ बजकर ०१ से
३१ अगस्त को राखी बांधने का मुहूर्त: सूर्योदय काल से सुबह ०७ बजकर ०५ मिनट तक
भद्रा में राखी क्यों नहीं बांधते हैं
कहा जाता है कि शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में राखी बांध दी थी, जिस वजह से रावण के पूरे कुल का सर्वनाश हो गया। इसलिए ऐसा माना जाता है कि भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। यह भी कहा जाता है कि भद्रा में राखी बांधने से भाई की उम्र कम होती है।
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